image: life imprisonment to 2 policemen in Rampur Tiraha incident 1994

उत्तराखंड आंदोलन: 30 साल बाद मिला इंसाफ, रामपुर तिराहा कांड में 2 दोषियों को उम्रकैद

Rampur Tiraha incident 1994 में दोषी, पी.ए.सी. के दो पुलिस कर्मियों को मुजफ्फरनगर कोर्ट ने आजीवन कारावास के साथ 1 लाख जुर्माने की सजा सुनाई है।
Mar 19 2024 1:49PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

पश्चिमी उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में 2 अक्टूबर 1994 को हुए रामपुर तिराहा कांड में बलात्कार के दोषी दो पुलिस जवाओं को आजीवन कारावास की सजा दे दी गई है।

Uttarakhand Aandolan 1994: Rampur Tiraha Incident

मुजफ्फरनगर कोर्ट ने 2 अक्टूबर 1994 रामपुर तिराहा कांड के दोषियों को 30 साल बाद आख़िरकार सजा सुना दी है। 3 दशक बीत जाने की बाद कोर्ट ने दरिंदगी करने वाले दो पुलिस कर्मियों सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई। साथ ही 50-50 हजार रूपये का अर्थदंड भी लगाया। जख्मों की भरपाई करना तो मुश्किल है लेकिन कोर्ट के इस फैसले से उत्तराखंड वासियों के जख्मों पर कुछ तो मरहम लगा है।

Rampur Tiraha incident 1994: Court Verdict

अदालत ने दिनांक 15.03.2024 को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 (2) (जी), 392, 354 एवं 509 के तहत दोषी ठहराया और सजा पर सुनवाई हेतु दिनांक 18.03.2024 की तिथि तय की गई। अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि जुर्माने की पूर्ण राशि पीड़िता को दी जाएगी।

क्या हुआ था रामपुर तिराहे पर उस दिन ?

उत्तराखंड राज्य की माँग के लिए लम्बे समय से आंदोलन चल रहे थे। 1 अक्टूबर 1994 को इस आंदोलन ने एक बड़ा रूप ले लिया। इस दिन काफी संख्या में राज्य आंदोलनकारी इस रैली में शामिल हुए और बसों में भरकर पहाड़ी क्षेत्रों से दिल्ली की तरफ कूच करने निकल पड़े। उस समय उत्तरप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने आन्दोलन को दबाने की भरपूर कोशिश की।

उत्तरप्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश से राज्य आंदोलनकारियों को मुजफ्फनगर के रामपुर तिराहे पर रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन आंदोलनकारी अपनी जिद पर अड़े रहे और दिल्ली जाने के लिए जिद में आंदोलन ने रात्रि 3 बजे उग्र रूप ले लिया और स्थिति तनावपूर्ण बन गई। इसके बाद यूपी पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। यहां तक कि पुलिसकर्मियों ने निहत्थे आन्दोलनकारियों पर फायरिंग की गई और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इसके बाद सात उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।

महिलाओं से की गई थी बदसलूकी

यह भी आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने दर्जनभर महिलाओं के साथ रेप, छेड़छाड़ और डकैती भी की, जिसके कई मामले दर्ज किए गए। 345 रैलीकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, जिसमें से 47 महिलाएं थीं।

आन्दोलनकारियों के परिजनों को राहत: CM Dhami

कोर्ट का फैसला आने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा "इस फैसले के आने से लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे पीड़ितों एवं उनके परिवारजनों को बड़ी राहत मिली है। हमारी सरकार पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा के साथ राज्य आंदोलनकारियों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूर्ण करने हेतु कार्य कर रही है।"


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