उत्तराखंड के गर्म कुंडों से होगा बिजली उत्पादन, भारत में आइसलैंड की तकनीक का पहला प्रयोग
प्रदेश के गर्म पानी के स्रोत अब बिजली बनाने का जरिया बनेंगे। भारत में पहली बार आइसलैंड की तकनीक से गरम पानी की भाप टरबाइनों को घुमाकर बिजली पैदा करेगी।
Apr 8 2024 7:01PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
प्रदेश में कई जगहों पर गरम पानी के स्रोत उपलब्ध हैं। इन प्राकृतिक गरम पानी के स्रोतों का उपयोग अब बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा।
First Time in India Generating Electricity from Steam Turbine
आपने अक्सर देखा होगा उत्तराखंड में कई जगह ऐसी हैं जहाँ पर तप्तकुण्ड पाए जाते हैं इसक्रम में मुख्यतः बदरीनाथ और यमुनोत्री में तप्तकुण्ड हैं जहाँ पर कड़कड़ाती ठण्ड में भी पानी गर्म रहता है और लोग इसमें स्नान करते हैं। प्रदेश में कई जगहों पर गरम पानी के स्रोत उपलब्ध हैं। उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में ऐसे विभिन्न जगह हैं जहाँ पर जमीन की सतह के भीतर पानी का तापमान काफी अधिक होता है। इन प्राकृतिक गरम पानी के स्रोतों का उपयोग अब बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा। वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कालाचांद सांई ने बताया कि इस कार्य के लिए संस्थान द्वारा एक बायनरी पावर प्लांट स्थापित की जाएगी। इस प्लांट में जियो थर्मल एनर्जी का उपयोग किया जाएगा जिससे बिजली बनेगी। हाल ही में संस्थान के वैज्ञानिकों ने आइसलैंड से इस तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
इस प्रक्रिया से बनती है बिजली
इस तकनीक के तहत गरम पानी के स्रोत के स्थान पर ड्रिलिंग की जाती है। यहां जमीन के अंदर पानी का तापमान 100 से 140 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इसके बाद ऊपर से 70 से 80 डिग्री सेल्सियस तापमान के पानी को गिराया जाता है। इससे तेज गति से भाप उत्पन्न होता है और यही भाप टरबाइन को प्रेरित करता है, जिससे वह तेजी से घुमकर बिजली उत्पन्न करता है। इस काम को करने के लिए पूरी मशीनरी तैयार की जाती है, खासकर टरबाइनों को इंस्टॉल करने के लिए। फिलहाल तपोवन में 20 मेगावाट तक की बिजली उत्पादन की जा रही है। इस तकनीक के माध्यम से प्रदेश भर में 10 हजार मेगावाट तक की बिजली उत्पादन का लक्ष्य है।
बिजली उत्पादन में होगी बढ़ोतरी
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कालाचांद सांई ने बताया कि भविष्य में इस प्रोजेक्ट को सोलर के साथ हाइब्रिड तकनीक से जोड़कर उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना है। इससे पावर प्रोजेक्ट की उत्पादन क्षमता में कई गुना वृद्धि का अनुमान है।