image: Dr  Yashwant Singh Katoch honored with Padma Shri Award

उत्तराखंड का इतिहास सहेजने वाले शिक्षक डॉ यशवंत सिंह कठोच को मिला पद्मश्री, बधाई दीजिये

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। डॉ. कठोच ने पिछले कई वर्षों से इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दिया है।
Apr 23 2024 10:29AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

गढ़वाल के रहने वाले डॉ यशवंत सिंह कठोच पेशे से एक शिक्षक थे उन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद अपना समय पूरी तरह से पुस्तक लेखन और उत्तराखंड के इतिहास की खोज में लगा दिया।

Dr. Yashwant Singh Katoch honored with Padma Shri Award

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कल 22 अप्रैल को उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित किया। उन्हें यह सम्मान शिक्षा, इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने के लिए दिया गया है। डॉ. कठोच उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में बतौर इतिहास के विशेषज्ञ और जानकार के रूप में भी सेवाएं देते आए हैं।

मूलरूप से पौड़ी जिले के हैं डॉ कठोच

डॉ यशवंत सिंह कठोच का जन्म पौड़ी जिले के चौन्दकोट पट्टी के मासौं गांव में 27 दिसंबर 1935 को हुआ था। बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे, इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की। फिर वहीं से वर्ष 1974 प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति तथा पुरातत्व विषय में विवि में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद इन्हें वर्ष 1978 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के गढ़वाल हिमालय के पुरातत्व पर शोध ग्रंथ प्रस्तुत किया और विवि ने उन्हें डीफिल की उपाधि से नवाजा। उन्होंने 33 वर्षों तक एक शिक्षक के रूप सेवाएं दी और वर्ष 1995 में वह प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हो गए।

डॉ कठोच द्वारा लिखी किताबें

डॉ यशवंत सिंह कठोच अब तक 10 से अधिक किताबें लिखने के साथ 50 से अधिक शोध पत्रों का वाचन कर चुके हैं। वह वर्ष 1973 में स्थापित उत्तराखंड शोध संस्थान के संस्थापक सदस्य हैं। उनकी मध्य हिमालय का पुरातत्व, उत्तराखंड की सैन्य परंपरा, संस्कृति के पद-चिन्ह, मध्य हिमालय की कला: एक वास्तु शास्त्रीय अध्ययन, सिंह-भारती सहित 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। लेकिन उनकी पुस्तक ‘उत्तराखंड का नवीन इतिहास’ से उन्हें एक अलग पहचान मिली। इस पुस्तक में डॉ कठोच ने वह सब शोध कर लिखा जो एटकिंसन के हिमालयन गजेटियर में लिखना छूट गया था। उन्होंने अपनी इस पुस्तक में उत्तराखंड के इतिहास की बारीकियों से जानकारी दी है।


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