जनरल बिपिन रावत की चीन को खुली चुनौती, ‘ तैयार है सेना , बस इशारे की देर है’ !
Jul 20 2017 6:14PM, Writer:कपिल
इस वक्त भारत और चीन के बीच सीमा विवाद जोर पकड़ रहा है। देखा जा रहा है कि चीन अपनी तरफ से बरत को कई धमकियां दे रहा है। डोकलाम इलाके में 34 दिन से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। चीन का कहना है कि भारत इस इलाके से अपनी सेना हटाए तो भारत का कहना है कि चीन को पहले अपनी सेना हटानी होगी, तभी आगे बात होगी। इस बीच देश के आर्मनी चीफ जनरल बिपिन रावत ने साफ कर दिया है कि अब चीन अपनी ताकत पर ज्यादा ना इतराए। चीन के सैनिकों के अड़ियल रवैये को देखते हुए भारतीय सेना के जवानों ने भी डोकलाम में 9 जुलाई से अपने तंबू गाड़े हुए हैं। भारतीय सेना ने भी अब पीछे हटने से साफ इनकार कर दिया है। उधर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भई साफ कर चुकी हैं कि पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस वक्त दोनों मुल्कों की 60-70 सैनिकों की टुकड़ी 100 मीटर की दूरी पर एक-दूसरे के आमने-सामने डटी हैं।
इस बीच भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि जब तक चीन के सैनिक सड़क निर्माण से पीछे नहीं हटेंगे, तब तक इंडियन आर्मी भी नॉन काम्बैट मोड में डोकलाम में डटी रहेगी। जनरल बिपिन रावत इस मामले पर पूरी नजर बनाए हुए हैं। अब आपको बताते हैं कि इस मामले में दोनों मुल्कों के क्या क्या तर्क हैं। चीन की मीडिया का कहना है कि भारत के साथ बातचीत एक ही शर्त पर होगी, अगर भारतीय सेना इस इलाके से पीछे हट जाए। उधर भारत ने साफ कर दिया है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में बदलाव आएगा। भारत की सिक्योरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय बन सकता है। जिस एरिया को लेकर लड़ाई हो रही है, उस एरिया का भारत में नाम डोका ला है। वहीं भूटान में इस इलाके को डोकलाम कहा जाता है। उधर चीन का दावा है कि ये इलाका चीन के डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। साफ हो रहा है कि इस इलाके को लेकर तनाव खत्म नहीं हो सकता।
इससे पहले अमेरिका भी कह चुका है कि चीन अगर इस इलाके में कोई हरकत कर रहा है, तो वो भारत को कमजोर ताकत ना समझे। भारतीय सेना के चीफ जनरल बिपिन रावत इस मामले पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। इससे पहले चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत को चेतावनी दी थी कि भारत को साल 1962 का युद्ध नहीं भूलना चाहिए। इसके जवाब में भारत के रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने कहा था कि ये 1962 नहीं बल्कि 2017 है और चीन को ये बातद किसी भी हाल में भूलनी नहीं चाहिए। इसके साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बयान दिया है कि भारत और चीन के बीच की सीमा को रेखांकित करने की आवश्यकता है। सुषमा स्वराज का कहना है कि डोकलाम में एक ट्राईजंक्शन है। 2012 में एक समझौते के तहत ये फैसला किया गया था कि इसमें कोई फेरबदल भारत, चीन और भूटान की चर्चा के बाद ही होगा। इसके साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि इस कुछ जानने के बाद भी चीन वहां आ रहा है, जो कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा है।