image: Now 2000 Trees Will Not Be Cut in Khalanga

देहरादून: नहीं कटेंगे खलंगा के 2000 पेड़, पर्यावरण प्रेमियों का प्रदर्शन रहा सफल

विरोध प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों और प्रकृति प्रेमियों के लिए खुशखबरी है, सरकार ने खलंगा में काटे जा रहे 2 हजार पेड़ों का फैसला वापस ले लिया है।
Jun 21 2024 7:20PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

खलंगा के जंगलों को काटकर यहाँ पर वाटर ट्रीटमेंट प्लान बनाने जा रही सरकार ने अब अपना प्रस्ताव पर पुनर्विचार करते हुए इसमें कुछ बदलाव किये हैं, जिससे यहाँ बांज के जंगलों की कटाई पर अब रोक लगा दी गई है। साथ ही दिलाराम चौक से मुख्यमंत्री आवास तक सड़क चौड़ीकरण के लिए 244 पेड़ों की बलि दी जानी थी उसपर मुख्यमंत्री ने कहा है कि बिना पेड़ काटे सड़क का चौड़ीकरण किया जाएगा।

Now 2000 Trees Will Not Be Cut in Khalanga

सरकार के लिए विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई कोई आम बात नहीं है, राज्य सरकार खलंगा वन क्षेत्र में विकास की आरी लगाने को तैयार थी, क्यूंकि यहाँ पर इन दो हजार पेड़ों को काटकर एक विशाल जलाशय बनाने का प्लान था जिससे देहरादून वासियों को पानी की आपूर्ति की जाती लेकिन इसका विरोध प्रदर्शन बड़े जोरों पर होने लगा, तमाम सामाजिक, पर्यावरण प्रेमी, युवा और जन संगठन इसके विरोध के लिए सड़कों पर उतर आए, उनका कहना था कि एक लाइफ सोर्स को ख़त्म करके दूसरा लाइफ सोर्स नहीं बना सकते, धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है ऐसे में हमे पेड़ों को काटने के बजाय अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। लम्बे समय से पूरजोर विरोध के बाद आखिरकार सरकार ने अपना फैसला बदल दिया और खलंगा में कट रहे चिन्हित 2000 पेड़ों के प्रस्ताव में कुछ तबदीली की है।

सड़क चौड़ीकरण के लिए 244 पेड़ों की बलि

प्रकृति प्रेमियों की खलंगा के जंगलों को काटने की लड़ाई तो सफल रही वहीं दूसरी तरफ अब दिलाराम चौक से मुख्यमंत्री आवास तक सड़क चौड़ीकरण के लिए 244 पेड़ों का चिन्हीकरण किया गया है। जो विकास के नाम पर काटे जायेंगे लेकिन कुछ पर्यावरण प्रेमी इसके विरोध में उतर आए हैं और उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन करने का निर्णय लिया है। जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसपर निर्देश देते हुए कहा है कि बिना पेड़ काटे सड़क चौड़ीकरण किया जाएगा लेकिन ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा, उधर कैंटोनमेंट बोर्ड की तरफ से अभी तक सड़क चौड़ीकरण की सभी औपचारिकताएं पूरी नहीं की गई हैं। ऐसे में केवल आधे मार्ग तक ही वृक्षों को चिन्हित करना कई सवाल खड़े कर रहा है।


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