image: Aries Scientists Discovered Structure of Black Hole Jet Plasma

उत्तराखंड: आखिर किस पदार्थ की बनी होती हैं खगोलीय चीजें, पहाड़ के बेटे ने पता लगाया

एरीज के वैज्ञानिक ने पहली बार ब्लैकहोल से निकलने वाले जेट प्लाज्मा की संरचना का पता लगाया है। वर्षों से इस बारे में ज्ञात नहीं था कि खगोलीय जेट किस तरह के पदार्थ के बने होते हैं।
Jul 13 2024 4:37PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के विज्ञानी व शोध छात्र की ये खोज ब्लैकहोल व न्यूट्रान तारों के मध्य चलने वाली भौतिक प्रक्रिया की बारीकी को समझने में मदद करेगी।

Aries Scientists Discovered Structure of Black Hole Jet Plasma

एरीज के वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिया है वर्षों से अनसुलझे रहस्य को सुलझाकर इन्होने कामयाबी की एक नई मिसाल दी है। यह खोज आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज), नैनीताल के वैज्ञानिक डॉ. इंद्रनील चट्टोपाध्याय और मसमोली गांव के निवासी शोध छात्र राजकिशोर जोशी ने की है। इस खोज को अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है। पहली बार ब्लैकहोल से निकलने वाले जेट प्लाज्मा की संरचना का पता लगा है।

वर्षों की शोध के बाद भी नहीं पता लगा पाए थे वैज्ञानिक

एरीज के आउटरीच प्रभारी डॉ. विरेन्द्र यादव ने बताया कि जेट ब्लैकहोल, न्यूट्रॉन तारे और पल्सार जैसे सघन खगोलीय पिंडों से विस्तारित किरणों के रूप में उत्सर्जित होते हैं। वर्षों की शोध के बावजूद, वैज्ञानिकों को यह पता नहीं चल पाया था कि खगोलीय जेट किस प्रकार के पदार्थ से बने होते हैं। यह भी ज्ञात नहीं था कि ये इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन से बने होते हैं या नहीं, जिससे इसके रहस्यों की खोज महत्वपूर्ण बनी रही।

यह खोज ब्लैक होल के कई रहस्य सुलझाएगी

सैद्धांतिक रूप से, जेट की उष्मा गति, द्रव्यमान घनत्व, ऊर्जा घनत्व और दबाव के बीच संबंध स्पष्ट नहीं था। डॉ. चट्टोपाध्याय ने शोध के दौरान पहले से विकसित संख्यात्मक सिमुलेशन में सुधार किया। इसके बाद उन्होंने इलेक्ट्रॉन, पाज़िट्रॉन (धनात्मक आवेशित इलेक्ट्रॉन) और प्रोटॉन के मिश्रण से बने एस्ट्रोफिजिकल जेट की गतिशीलता का अध्ययन किया, जिससे जेट प्लाज्मा की संरचना का पता चला। डॉ. इंद्रनील चट्टोपाध्याय और राजकिशोर जोशी के अनुसार, यह खोज ब्लैकहोल और न्यूट्रॉन तारों के बीच चलने वाली भौतिक प्रक्रियाओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। राजकिशोर जोशी की इस उपलब्धि से उनके पैतृक गांव मसमोली में खुशी की लहर है।


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