उत्तराखंड बना GEP इंडेक्स जारी करने वाला दुनिया का पहला राज्य, जानिए क्या है
वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की सरकार में सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना था। अब लम्बे समय के बाद उत्तराखंड सकल पर्यावरण उत्पाद की गणना करने वाला पहला राज्य बन गया है।
Jul 19 2024 7:40PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) का शुभारंभ किया। इसके बाद उन्होंने प्रेसवार्ता में घोषणा करते हुए बताया कि उत्तराखंड दुनिया का पहला ऐसा राज्य है जिसने जीईपी को लांच किया है।
Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami Launched GEP
सीएम धामी ने कहा कि आज का दिन हम सभी के लिए ऐतिहासिक है। हमारे पूर्वज हमें शुद्ध वायु और जल स्रोत देकर गए हैं, जिससे पूरा वायुमंडल शुद्ध वायु से भरपूर है। जिस तरह हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं, उसी तरह पर्यावरण को संरक्षित रखने का यह सूचकांक Gross Environmental Product (GEP) भी है। आने वाले वर्षों में इस स्थिति को बनाए रखना हमारे लिए एक चुनौती है। पहले हम ग्रीन बोनस की मांग करते थे, लेकिन अब पिछले तीन साल के आंकड़े सामने आने से हमें बेहतर करने का मौका मिलेगा। यह सूचकांक नीति आयोग और भारत सरकार में हमारे लिए लाभकारी साबित होगा। हमारे कई गाड़-गदेरे सूख चुके हैं, और हम उनके पुनर्जीवन पर काम कर रहे हैं। अब हमें कई शहरों की धारण क्षमता की जानकारी भी मिल चुकी है।
नीति आयोग से करेंगे एक अलग विकास मॉडल की मांग
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मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग और मुख्यमंत्री कॉन्क्लेव में हम राज्य से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करेंगे। हमारी जनसंख्या भले ही 1.25 करोड़ हो, लेकिन पर्यटन और तीर्थयात्रा को मिलाकर आठ करोड़ से अधिक लोग आते हैं। इसलिए, हमारे जैसे राज्यों के लिए विकास का मॉडल अलग होना चाहिए और बजट भी अलग होना चाहिए। पूरे देश के लिए केवल एक ही योजना नहीं होनी चाहिए। हमारी कुछ नदियाँ पहले सदानीरा थीं, लेकिन अब सूख गई हैं। हम उन्हें आपस में जोड़ने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि अब राज्य आकार जीडीपी की तर्ज पर प्रतिवर्ष जीईपी आंकड़ों को जारी करेगी। जलवायु संरक्षण की दिशा में उत्तराखंड की यह पहल मील का पत्थर साबित होगी।
सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) आखिर है क्या?
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चलिए अब हम आपको इसे आसान भाषा में समझाते हैं, GEP का मतलब है प्राकृतिक संसाधनों में हुई वृद्धि या कमी के आधार पर समय-समय पर पर्यावरण की स्थिति का आकलन करना है। ये पारिस्थितिक स्थिति को मापने हेतु एक मूल्यांकन प्रणाली है। इसके आकलन के चार प्रमुख स्तंभ होते हैं हवा, पानी, मिट्टी और जंगल। इनके आधार पर सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जीईपी) का आकलन किया जाता है। इसके महत्त्व की बात करें तो यह पर्यावरण के संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायता करेगा। इसके अलावा पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं का मूल्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद से करीब दोगुना है। इसलिए यह पर्यावरण के संरक्षण में मदद करेगा और हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने में भी मदद मिलेगी।