Uttarakhand News: Manu Bhaker को 2 ओलंपिक मेडल जिताने वाले Jaspal Rana ने अस्पताल से भागकर जीता था गोल्ड
पेरिस ओलंपिक 2024 में इतिहास रचने वाली भारतीय शूटर Manu Bhaker अपनी शानदार फॉर्म का श्रेय कोच Jaspal Rana को देती हैं। समर्पण और मेहनत ने फिर से एक साथ लाकर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
Aug 8 2024 2:12PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में मनु भाकर कहती हैं कि जब कोच जसपाल राणा आस पास होते हैं तो वो बेहतरीन प्रदर्शन करती हैं। मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 में इतिहास रचते हुए देश के लिए दो मेडल्स जीते। वे एक और मेडल जीतने से महज मामूली अंतर से चूक गईं। भाकर ने इंटरव्यू में बार-बार कोच जसपाल राणा का नाम लिया, जिनका योगदान उनकी सफलता में अहम रहा। जसपाल राणा जो स्वयं कई प्रमुख इवेंट्स में भारत के लिए मेडल्स जीत चुके हैं इस बार एक गुरु के रूप में चर्चा में हैं।
The undefeated king of Indian shooting in the 90s: Jaspal Rana
उत्तरकाशी जिले के नैनबाग के रहने वाले जसपाल राणा को 90 के दशक में भारतीय शूटिंग का अजेय बादशाह माना जाता था। एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे प्रमुख आयोजनों में उनकी उपस्थिति से ही लोग शूटिंग में उनके नाम की पहचान करते थे। शूटिंग करियर समाप्त होने के बाद, उन्होंने कोचिंग के क्षेत्र में कदम रखा और कई खिलाड़ियों की सफल ट्रेनिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि उन्हें को कई विवादों का सामना करना पड़ा, जिनमें टोक्यो ओलंपिक्स में भारतीय शूटर्स की विफलता और मनु भाकर के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदारी शामिल थी। बावजूद इसके आज जसपाल राणा की कोचिंग क्षमता और खिलाड़ियों की सफलता के कारण वे भारतीय खेलों के क्षेत्र में गर्व का विषय बन चुके हैं।
अस्पताल से भागकर जीता गोल्ड
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जसपाल राणा का जन्म 28 जनवरी 1976 को उत्तरकाशी, उत्तराखंड में हुआ। 10 साल की उम्र में ही उन्होंने शूटिंग शुरू की, जब उनके पिता ने उन्हें पिस्टल और राइफल्स से परिचित कराया। कम समय में ही उन्होंने दोनों में अपनी प्रतिभा साबित की, लेकिन फेडरेशन के नियम ने एक शूटर को केवल एक गन का उपयोग करने की अनुमति दी जिससे राणा ने पिस्टल को चुना। 1988 में 12 साल की उम्र में नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने के बाद उन्होंने कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए। 1994 में मिलान में वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में जूनियर सेक्शन में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता, हालांकि दर्दनाक स्थिति में क्योंकि इवेंट से एक दिन पहले जसपाल राणा को घुटने पर फोड़ा हो गया और डॉक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी, साथ ही बताया कि छुट्टी नहीं मिलेगी। इस स्थिति में राणा और उनके कोच सनी थॉमस ने अस्पताल से भागने का फैसला किया।
18 साल की उम्र में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित
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उसी साल हिरोशिमा एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने और 18 साल की उम्र में अर्जुन अवार्ड प्राप्त करने के बाद, 1994 में कोलंबिया में CWG गेम्स में चार मेडल्स—दो गोल्ड, एक सिल्वर, और एक ब्रॉन्ज़ जीते। उन्होंने एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में कुल 15 मेडल्स जीते, जिसमें 2006 के दोहा एशियन गेम्स में आठ पदक शामिल थे। शूटिंग के बाद राणा ने राजनीति और कोचिंग में भी प्रयास किया, लेकिन 2009 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए।
मनु भाकर और जसपाल राणा विवाद
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जसपाल राणा ने जूनियर शूटिंग टीम के कोच के रूप में कार्य किया और मनु भाकर समेत कई युवा शूटर्स को प्रशिक्षित किया, जिससे उन्हें 2020 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिला। हालांकि उनकी कठोरता के कारण मनु भाकर के साथ मतभेद हुए, विशेषकर जब राणा ने मनु को 25 मीटर पिस्टल इवेंट से बाहर करने का निर्णय लिया। इस विवाद के कारण मनु ने राणा के साथ काम करने से मना कर दिया, जिससे उनका प्रदर्शन टोक्यो ओलंपिक्स में प्रभावित हुआ और वह फाइनल में भी नहीं पहुंच सकीं। विवाद के बाद राणा ने शूटिंग से दूरी बना ली और खेती करने लगे। लेकिन 2023 में जसपाल राणा और मनु के रिश्ते सुधर गए और राणा ने मनु के पर्सनल कोच के रूप में काम करना शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप मनु ने पेरिस ओलंपिक्स का टिकट हासिल किया और अपनी सफलता का श्रेय जसपाल राणा को दिया। आज जसपाल राणा मनु के साथ भारतीय खेलों में गर्व का प्रतीक बने हुए हैं और देहरादून में एक इंस्टीट्यूट भी चला रहे हैं।