उत्तराखंड का ट्रेक ऑफ द इयर सरुताल, 4000 मीटर की ऊंचाई पर यहां वनपरियां करती हैं झील में स्नान
उत्तराखंड सरकार द्वारा उत्तरकाशी के सर बडियार सरनौल-सौत्तरी से सरूताल ट्रेक को ‘ट्रेक ऑफ द ईयर’ घोषित किए जाने पर स्थानीय लोगों ने खुशी जताई है।
Aug 26 2024 5:42PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
सितंबर के महीने पहला जत्था इस ट्रेक पर रवाना होगा जिसमें 150 ट्रैकर्स शामिल होंगे। ‘ट्रेक ऑफ द ईयर’ का दर्जा मिलने के बाद सर बडियार सरनौल-सौतरी-सरूताल क्षेत्र को अब विश्व पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान मिलेगा।
Uttarakhand Sarutala Trek Declared Trek of The Year
जनपद उत्तरकाशी के सरूताल ट्रैक को ‘ट्रैक ऑफ द ईयर’ के रूप में मान्यता मिलने से क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है। समुद्रतल से करीब 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस खूबसूरत स्थल को इस सम्मान से अब देश और दुनिया के पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने की उम्मीद है। इस ट्रैक के विकास से स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और उत्तराखंड की आर्थिकी को भी मजबूती मिलेगी।
ट्रैकर्स दी जाएगी 2000 रुपये की सब्सिडी
पहला जत्था दो सितंबर को रवाना होगा जिसमें 150 ट्रैकर्स शामिल होंगे। साहसिक खेल अधिकारी मो. अली खान के अनुसार राज्य सरकार की ओर से इन ट्रैकर्स को 2000 रुपये की सब्सिडी और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। क्षेत्रीय निवासियों की लंबे समय से की जा रही मांग पर यह ट्रैक पर्यटन विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त हुआ है, जिससे स्थानीय लोग इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में आशान्वित हैं।
वनपरियां आती हैं झील में स्नान करने
सरनौल क्षेत्र के भेड़पालकों का मानना है कि इस पवित्र झील में वनपरियां ब्रहमूर्त के समय स्नान करती हैं। देहरादून से लगभग 120 किलोमीटर की यात्रा के बाद बड़कोट शहर आता है, जहां से सरनौल गांव तक पहुंचने के लिए 40 किलोमीटर पक्की सड़क का मार्ग है। बड़कोट से सरनौल की दूरी मात्र डेढ़ घंटे में तय की जा सकती है। सरनौल में स्थित प्राचीन रेणुका मंदिर है जो एक सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध है, यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।
ब्रह्मकमल से घिरी है पूरी घाटी
1
/
सरनौल जो सरूताल ट्रैक का बेस कैंप भी है अपने रमणीय वातावरण और स्थानीय भोजन के लिए जाना जाता है। यहां से आपको घोड़े, खच्चर और गाइड आसानी से उपलब्ध हो जायेंगे। सरनौल से 10 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद सूतड़ी पहुंचा जाता है, जहां रात बिताकर अगली सुबह भुजलाताल और फांचो कांडी होते हुए सरूताल पहुंचा जाता है। इस ट्रैक पर उच्च हिमालयी क्षेत्र की ऊंची चोटियों और घने कोहरे में लिपटी ब्रह्मकमल से घिरी घाटी की सुंदरता मंत्रमुग्ध कर देने वाली होती है।