उत्तराखंड: बनभूलपुरा में 100 से ज्यादा घरों पर लगे लाल निशान, सर्वे के बाद अब चलेगा बुलडोजर
बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमण पर बनी संपत्तियों और वहां रह रहे परिवारों की घर-घर जाकर जांच शुरू हो गई है।
Sep 1 2024 9:29AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
इस सर्वेक्षण के लिए रेलवे और अन्य सरकारी विभागों की छह टीमों को जिम्मेदारी दी गई है। संबंधित टीमें अतिक्रमण वाली जमीन पर बने मकानों को लाल निशान लगाकर चिह्नित करने का काम कर रही हैं। पहले ही दिन टीमों ने 100 से अधिक भवनों पर निशान लगा दिए हैं।
Red Marks On 100 Houses Built On Encroached Land in Banbhulpura
बीते शुक्रवार को सुबह लगभग 11 बजे सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेयी, एसडीएम परितोष वर्मा और तहसीलदार सचिन कुमार की अगुवाई में विभिन्न विभागों के कर्मचारियों से गठित छह टीमें वार्ड नंबर 32 के इंदिरा नगर पश्चिमी इलाके में पहुंचीं। यहां उन्होंने डोर टू डोर सर्वेक्षण का काम शुरू किया। जैसे ही सर्वेक्षण शुरू हुआ बनभूलपुरा क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में टीमों के आसपास जुटने लगे। टीमों ने अतिक्रमण वाले भवनों पर लाल निशान लगाना शुरू किया। अधिकारियों के अनुसार सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक टीमें मकानों और परिवारों का डेटा एकत्रित करती रहीं। किसी टीम ने 15 तो किसी ने 20 घरों पर लाल निशान लगाए और शाम तक 100 से अधिक भवनों को चिह्नित कर दिया गया।
बाकी बची अतिक्रमण भूमि का सर्वे नक्शे के आधार पर होगा
सर्वेक्षण के दौरान सभी छह टीमों ने अतिक्रमण वाली जमीन पर बने मकानों वहां रह रहे परिवारों के सदस्यों के नाम, उम्र और मकान के मालिकाना हक संबंधी दस्तावेजों की जानकारी एकत्रित की। इसमें क्रय करने की स्थिति में विक्रेता का नाम, बिजली-पानी के बिल आदि शामिल थे। अधिकारियों के अनुसार फिलहाल केवल उस भूमि का सर्वे किया जा रहा है जिसका रेलवे ने पहले ही डिजिटल सर्वे कराया था। इस सर्वे के बाद नक्शे के आधार पर बाकी बची अतिक्रमण वाली भूमि का भी सर्वेक्षण किया जाएगा। इस प्रक्रिया के दौरान नागरिक और रेलवे पुलिस भी मौके पर मौजूद रही। जब अलग-अलग टीमें अतिक्रमण वाली जमीन पर बने मकानों पर लाल निशान लगा रही थीं, तो भवन स्वामी अपने भविष्य को लेकर चिंतित और असमंजस में दिखाई दिए। निशान लगने के बाद उनकी चिंता और बढ़ गई कि आगे क्या होने वाला है।
सर्वे के पीछे का उद्देश्य और कारण
सुप्रीम कोर्ट में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण के मामले की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने रेलवे से उनकी योजनाओं के विस्तार के लिए आवश्यक जमीन की जानकारी मांगी थी और इस जमीन पर रह रहे लोगों के विस्थापन के लिए एक योजना तैयार करने के निर्देश भी दिए थे। कोर्ट के इन निर्देशों के बाद, रेलवे ने अपनी आवश्यकताओं के आधार पर अतिक्रमण वाली जमीन का डिजिटल सर्वेक्षण कराया। इसके बाद रेलवे ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से अनुरोध किया कि वे इस जमीन पर बने भवनों और वहां रह रहे परिवारों की संख्या का पता लगाएं। सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेयी ने बताया कि इस सर्वेक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अतिक्रमण वाली जमीन पर कितने मकान और परिवार मौजूद हैं, ताकि कोर्ट के निर्देशानुसार उचित कार्यवाही की जा सके। सर्वेक्षण के परिणामों के आधार पर ही मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी, जिससे प्रभावित परिवारों के विस्थापन की योजना भी बनाई जा सके।