दमदार पहाड़ी अजित डोभाल का ‘मास्टरस्ट्रोक’, अब औकात दिखाने लगा है चीन!
Aug 3 2017 7:58PM, Writer:अमित
आपको याद होगा कि हाल में अजित डोभाल ने चीन का दौरा किया था। इस दौरे को काफी महत्वपूर्ण कहा जा रहा था। पीएम मोदी को डोभाल पर पूरा भरोसा था। चीन में डोभाल ने अपने समकक्ष यांग जेइची से मुलाकात की थी और डोकलाम के मुद्दे पर दोनों के बीच बात हुई थी। 28 जुलाई को हुई मुलाकात का पहली बार ब्योरा दिया गया है। अब लग रहा है कि भारत और चीन के बीच डोकलाम का हल निकल सकता है। डोकलाम पर विवाद तब शुरू हुआ जब चीन ने यहां सड़क बनाना शुरू किया। बताया जा रहा है कि चीन अब सीमा पर गतिरोध खत्म करने के लिए शांतिपूर्ण समाधान की बात करने लगा है। बताया जा रहा है कि डोभाल से इस बारे में बातचीत हुई है। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि अगले महीने होने वाले ब्रिक्स देशों के सम्मेलन से पहले चीन इस विवाद का हल चाहता है। अगले महीने होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पीएम मोदी से मुलाकात हो सकती है।
बताया जा रहा है कि इस सम्मेलन से पहले सीमा विवाद का हल निकालने की कोशिश चीन द्वारा की जाएगी। दरअसल चीन भी इस वक्त जानता है कि अजित डोभाल कूटनीति के कितने नाहिर खिलाड़ी हैं। पहले डोभाल चीन गए और इसके बाद अब पीएम मोदी शी जिनपिंग से मुलाकात करने जदा रहे हैं।ब्रिक्स की बैठक चीन के शहर शियामिन में सितंबर के पहले सप्ताह में होनी है। डिस डोकलाम को लेकर विवाद चल रहा है कि इसे भारत डोका ला कहता है। भूटान इसे डोकालाम कहता है और चीन का दावा है कि ये उसके दोंगलांग क्षेत्र का हिस्सा है। दरअसल चीन जानता है कि भारत से युद्ध उसके लिए कितना भारी पड़ेगा। चीन जानता है कि रूस और अमेरिका इस वक्त भारत के साथ हैं। चीन पहले से ही वियतनाम और बाकी मुल्कों के बीच समुंदर के विवाद को लेकर फंसा हुआ है। ऐसे में भारत पर निगाहें डालना उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
बताया जा रहा है कि बातचीत का रास्ता डोभाल पहले से ही साफ कर आए हैं। 2014 में भी भारत और चीन के बीच ऐसा ही सीमा विवाद हुआ था, लेकिन चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग की भारत यात्रा से पहले दोनों पक्षों ने सीमा से सेनाएं हटा ली थीं। 1962 के युद्ध के अलावा कभी भी भारत-चीन सीमा पर गोली नहीं चली है। भारत और चीन के बीच करीब डेढ़ महीने से डोकलाम को लेकर तनातनी जारी है। चीन भारत से डोकलाम से लगातार सेना हटाने के लिए कह रहा है। चीन का कहना है कि सेना हटाने के बाद ही दोनों पक्षों के बीच सही ढंग से बातचीत होगी। वास्तव में चीन ब्रिक्स सम्मेलन से पहले इस विवाद का हल निकालना चाहता है। अब देखना ये है कि क्या आने वाले वक्त में चीन अपने कदम पीछे खींच लेगा ? या फिर दोनों देशों के बीच कोई बड़ा फैसला हो सकता है। फिलहाल अजित डोभाल तो अपना काम कर आए हैं और अब इंतजार मोदी के चीन दौरे का है।