उत्तराखंड को लेकर वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा, रिपोर्ट में सामने आई चौंका देने वाली बातें !
Aug 5 2017 2:43PM, Writer:kapil
जल प्रलय से आधा हिंदुस्तान त्राहिमाम कर रहा है। सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। लाखों लोग बेघर हो गए। सबसे ज्यादा बुरे हालात नॉर्थ-ईस्ट में हैं। हालात से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो हजार करोड़ रुपये का पैकेज देने का ऐलान किया है। नॉर्थ-ईस्ट के साथ ही यूपी उत्तराखंड में आसमान से बरस रही आफत ने लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। उत्तराखंड में अगले 72 घंटे भारी पड़ने वाले हैं। मौसम विभाग ने अगले 72 घंटों में 6 जिलों में भारी बारिश के साथ प्रदेश में ज्यादातर जगहों पर बारिश की संभावना जताई है। विभाग ने लगातार बारिश से पहाड़ में भूस्खलन और मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात के लिए भी आगाह किया है। मौसम विभाग के मुताबिक देहरादून के साथ पौड़ी, चमोली, नैनीताल, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंहनगर में कुछ जगह बहुत भारी बारिश हो सकती है। इसके अलावा भी इस खबर से जुड़ी कुछ और बातें हैं, जिनके बारे में आपका जानना बेहद जरूरी है।
मौसम में हो रहे बदलावों की वजह से हिमालयी इलाके में बारिश की मात्रा बढ़ती जा रही है। ये बारिश वनस्पतियों के लिए भले ही फायदेमंद हो, लेकिन पहले से ही कमजोर हिमालय क्षेत्र की पहाड़ियों को ये और ज्यादा कमजोर कर रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बारिश के बाद पहाड़ों के टूटने से कृतिम झीलें बन सकती हैं। उत्तराखंड में पिछले दो से तीन दशकों में बारिश की मात्रा बढ़ी है। ये बारिश पहाड़ियों को और ज्यादा कमजोर करने का काम कर रही हैं। ऐसे में इन पहाड़ियों के खिसकने और नदियों का बहाव रुकने से झीलें बनने का खतरा बढ़ गया है। साथ ही लगातार बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ने से मैदानी क्षेत्रों में नदी किनारे पर बाढ़ जैसे हालात भी पैदा हो सकते हैं इसलिए लोगों के साथ ही स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने की जरूरत है। विभाग ने पहाड़ में चारधाम यात्रा भी सीमित करने की सलाह दी है।
तेज बारिश के बाद नदियों का जलस्तर बढ़ने की वजह से पॉवर हाउस प्लांट में उत्पादन का अंकगणित भी गड़बड़ा गया है। 19.45 मिलियन यूनिट से बिजली उत्पादन 11.32 मिलियन यूनिट पर जाकर सिमट गया है। इसका सीधा असर बिजली सप्लाई पर पड़ा है। राज्य में हुई तेज बारिश की वजह से 304 मेगावाट मनेरी भाली फेस दो, 240 मेगावाटछिबरो, 120 मेगावाटखोदरी, 144 मेगावाट चीला, 30 मेगावाट कुल्हाल, 34 मेगावाट ढकरानी, 51 मेगावाट ढालीपुर से उत्पादन नहीं मिल पाया। इसका सीधा असर पॉवर सप्लाई पर पड़ा। गढ़वाल व कुमाऊं के सिडकुल क्षेत्रों में तीन घंटे की बिजली कटौती करनी पड़ी। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पॉवर सप्लाई सिस्टम प्रभावित रहा। कुल मिलाकर कहें तो आने वाला वक्त उत्तराखंड के लिए और ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। मौसम विभाग लगातार चेतावनी दे रहा है और इस बीच आपका सुरक्षित रहना काफी ज्यादा जरूरी है।