image: China talk with nepal over doklam

डोकलाम में भारत के आगे हारा चीन, अब चल रहा है दूसरी खतरनाक चाल !

Aug 6 2017 2:22PM, Writer:कपिल

दो महीने का वक्त होने को है और डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं एक दूसरे के आर पार खड़ी हैं। एक इशारे की देर है और फिर कुछ भी हो सकता है। अब दिख रहा है कि डोकलाम पर चीन की धमकियों का हिंदुस्तान पर कोई खास असर नहीं हो रहा है। ऐसे में ड्रैगन अब नई चाल चल रहा है। चीन अब कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है। ये खबर कहां से सामने है, इस बारे में भी हम आपको बताने जा रहे हैं। दरअसल दिल्ली स्थिति चीनी राजनयिकों ने नेपाल के अधिकारियों को डोकलाम के मुद्दे पर अपना पक्ष बताया है। इस वक्त चीन की नजर नेपाल पर क्यों है, ये भी जान लीजिए। साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि आखिर क्यों चीन अब नेपाल के पीछे पड़ा है। दरअसल हिंदुस्तान एक विवादित क्षेत्र में चीन और नेपाल के साथ एक ट्राइजंक्शन साझा करता है। इसकी दूसरी वजह ये है कि हिंदुस्तान बीते कुछ सालों से नेपाल पर अपना प्रभाव कायम करने की कोशिशों में जुटा है।

इसलिए चीन को लगता है कि इस वक्त नेपाल को पटाना सबसे सही काम साबित हो सकता है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि डोकलाम के मुद्दे पर चीनी राजनयिकों ने नेपाली राजनायिकों से बातचीत की है। बताया जा रहा है कि चीनी अधिकारियों ने नेपाली अधिकारियों को डोकलाम के मुद्दे पर चीन के रुख के बारे में बताया है। कहा जा रहा है कि इससे पहले ऐसी ही बैठक काठमांठु और बीजिंग में हो चुकी है। यानी साफ है कि धमकियां बेअसर होने के बाद चीन अब नया तरीका अपना रहा है। जहां तक हिंदुस्तानकी बात है तो, हिंदुस्तान के बड़े अधिकारियों ने अब तक चीन जैसी कोई भी हरकत नहीं की है। हालांकि कुछ वक्त पहले अमेरिकी डिप्लोमेट से इस बारे में चर्चा भर हुई थी। हैरानी की बात तो ये भी है कि नेपाल चीन से बात कर रहा है, लेकिन इस मामले पर उसने भारत की कोई भी प्रतिक्रिया नहीं ली है।

हालांकि इस बीच नेपाल का एक वर्ग ये भी कहता है कि डोकलाम का विवाद उनके हित में नहीं है। नेपाल, हिंदुस्तान और चीन के बीच दो ट्राइजंक्शन शेयर होते हैं। पहला ट्राइजंक्शन लिपुलेख में है। इसके अलावा दूसरा ट्राइजंक्शन जिनसंग चुली में है। बीते कुछ वक्त से नेपाल लिपुलेख को लेकर परेशान दिख रहा है। ये क्षेत्र विवादित कालापानी इलाके में पड़ता है। इस क्षेत्र पर हिंदुस्तान और नेपाल दोनों ही दावा करते हैं। इससे पहले साल 2015 में पीएम मोदी ने लिपुलेख पास के जरिए चीन के साथ व्यापार बढ़ाने की बात कही थी। इस फैसले से नेपाल काफी चिढ़ गया था। इस वजह से चीन नेपाल को पटाने की कोशिश में जुटा हुआ है। इसके साथ ही इस महीने हिंदुस्तान और चीन के बड़े नेता नेपाल का दौरा करने जा रहे हैं। हिंदुस्तान की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मुलाकात 14 अगस्त को चीनी उपप्रधानमंत्री से हो सकती है। ऐसे में इन दोनों के बीच डोकलाम के मुद्दे को लेकर बात होनी है। फिलहाल इतना तो जरूर है कि चीन इस वक्त भारत की कमजोर नब्ज को पकड़कर नेपाल का टारगेट कर रहा है।


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