Uttarakhand: जंगल घास लेने गई महिला पैर फिसलने से हुई बुरी तरह घायल, समय से 108 मिलती तो बच जाती जान
उत्तराखंड सरकार जहां एक और पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े वादे करती है, तो वहीं दूसरी ओर आए दिन कई पहाड़ी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा न मिलने के कारण उनकी जान चली जाती है। सरकार के किए वादे केवल वादे ही रह जाते हैं।
Oct 8 2024 12:33PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
उत्तराखंड के पहाड़ी महिलाओं का पूरा जीवन काफी संघर्षपूर्ण होता है। जगलों में महिलाओं के साथ आए दिन हादसे होते रहते हैं। जिनमें कई महिलाओं की जान चली जाती है। क्यूंकि कई पहाड़ी क्षेत्रों घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार के लिए भी कई किमी की दूरी तय करनी पड़ती है, तो कहीं हॉस्पिटल पहुँचने पर भी घायल व्यक्ति को इलाज के लिए घंटों इंतजार करवाया जाता है।
Unavailability of 108 takes another life in the hills of Uttarakhand
6 अक्टूबर को नैनीताल जनपद के बेतालघाट तहसील के रोपा गांव की 51 वर्षीय प्रेमा देवी घास काटने जंगल गयी थी। घास काटते हुए अचनाक पैर फिसलने के कारण वो गिर गई। जिससे प्रेम देवी बुरी तरह घायल हो गई। महिला के परिजनों ने उनको बेतालघाट CHC हॉस्पिटल ले गए। अस्पताल में उपचार सामग्री उपलब्ध न होने के कारण डॉक्टरो ने उन्हें हल्द्वानी सुशीला तिवारी हॉस्पिटल के लिए रैफर किया। पीड़ित महिला को हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस बुलाई गई, लेकिन एम्बुलेंस (108) पीड़ित महिला को लेने के लिए डेढ़ घंटे बाद पहुंची। जिसका नतीजा ये हुआ कि प्रेमा देवी ने सुशीला तिवारी हॉस्पिटल जाते वक्त एम्बुलेंस में ही दम तोड़ दिया।
प्रेमा देवी के साथ हुए हादसे के दूसरे दिन ही 7 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी बेतालघाट महाविद्यालय के वार्षिक समरोह में पहुंचे। जहाँ उन्होंने आम जनमानस का सम्बोधन किया।