उत्तराखंड: पलायन से निर्जन पड़े गांव गोद लेगी सरकार, होम स्टे-होटल बनेंगे तो लौटेगी रौनक
उत्तराखंड के निर्जन गाँव में एक नई उम्मीद जगी है, अब सरकार इन गांवों को गोद लेने की योजना बना रही है, जिससे चुनिंदा गांवों को होम स्टे और होटल के रूप में विकसित किया जाएगा।
Oct 21 2024 7:35PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
सरकार का यह कदम पर्यटन को बढ़ावा देने और पलायन की समस्या से निपटने के लिए है। पर्यटन एवं पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि इस दिशा में कई प्रस्ताव सामने आए हैं। वर्तमान में प्रदेश में 1726 गांव पूरी तरह निर्जन हो चुके हैं।
Uttarakhand Government Will Adopt Deserted Villages
उत्तराखंड के निर्जन गांवों को फिर से जीवंत बनाने के लिए सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में कुछ गांवों को गोद लेने की योजना बनाई है। इन गांवों को होम स्टे कम होटल के रूप में विकसित किया जाएगा। पर्यटन एवं पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार इस संबंध में कुछ प्रस्ताव मिले हैं और प्रवासियों की सहमति समेत अन्य पहलुओं का अध्ययन चल रहा है। गांवों में पारंपरिक पहाड़ी शैली के भवनों का जीर्णोद्धार किया जाएगा, जबकि आंतरिक रूप से आधुनिक सुविधाएं होंगी। पलायन के कारण अब तक राज्य के 1726 गांव निर्जन हो चुके हैं।
प्रथम चरण में होम स्टे मॉडल से पुनर्जीवित होंगे हिमालय से जुड़े निर्जन गांव
सरकार ने निर्जन गांवों को पुनर्जीवित करने की योजना शुरू की है। पलायन निवारण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2018 से 2022 के बीच 24 गांव पूरी तरह से खाली हो चुके हैं। अब सरकार पहले चरण में हिमालय से जुड़े कुछ खास गांवों को गोद लेकर होम स्टे कम होटल के रूप में विकसित करेगी। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक इन गांवों का जीर्णोद्धार परंपरागत पहाड़ी शैली में किया जाएगा, जिसमें आधुनिक सुविधाओं का समावेश होगा। प्रवासियों की सहमति लेकर भूमि की लीज और अन्य विकल्पों पर काम हो रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और पलायन को रोककर गांवों में रौनक वापस लाना है।
जिलेवार निर्जन पड़े गांव की संख्या
उत्तराखंड में कई जिले ऐसे हैं जहां बड़ी संख्या में गांव निर्जन हो चुके हैं। पौड़ी जिले में सबसे अधिक 519 गांव खाली पड़े हैं, जबकि अल्मोड़ा में 163 और बागेश्वर में 144 गांव निर्जन हो गए हैं। इसी तरह टिहरी में 154, हरिद्वार में 122 और चंपावत में 114 गांव खाली पड़े हैं। चमोली में 107, पिथौरागढ़ में 101, रुद्रप्रयाग में 93 और उत्तरकाशी में 83 गांव निर्जन हो चुके हैं। नैनीताल में 66, उधम सिंह नगर में 33 और देहरादून में 27 गांव अब खाली पड़े हैं।