image: Rishikesh AIIMS Doctors Save Life of Four-Legged Child

Rishikesh: AIIMS डॉक्टरों के नाम बड़ी उपलब्धि, संवारा 4 पैर वाले बच्चे का जीवन.. 8 घंटे चली जटिल सर्जरी

Rishikesh AIIMS के डॉक्टरों ने एक विकृत बच्चे को नई जिंदगी दी है, जिससे उनकी चिकित्सा विशेषज्ञता में एक और उपलब्धि जुड़ गई है।
Nov 29 2024 11:37AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

बच्चे के दो पैर सामान्य थे, जबकि अन्य दो असामान्य थे, जो डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए। 8 घंटे लंबी जटिल सर्जरी के बाद बच्चे को नया जीवन मिला। यह सफल सर्जरी डॉक्टरों की मेहनत और समर्पण का परिणाम है।

Rishikesh AIIMS Doctors Save Life of Four-Legged Child

एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने 9 महीने के उस बच्चे का इलाज किया, जिसका जन्म चार पैर और विकृत शरीर के साथ हुआ था। यह बच्चा यूपी के मुजफ्फरनगर जिले से था, जहां उसके माता-पिता ने बच्चे की विकृत अवस्था को लेकर कई अस्पतालों में इलाज कराया था, लेकिन कोई राहत नहीं मिली थी। 6 मार्च 2024 को बच्चा अपने माता-पिता के साथ एम्स ऋषिकेश आया, जहां पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में उसकी हालत को देखकर चिकित्सकों ने उसे जल्दी इलाज की सलाह दी। इस बच्चे का शारीरिक रूप असामान्य था, और वह काफी दर्द में था, जिससे उसके माता-पिता भी परेशान थे।

सर्जरी की चुनौती और डॉक्टरों की टीम की मेहनत

एम्स ऋषिकेश के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की हेड प्रो. सत्या श्री और उनकी टीम ने इस बच्चे के इलाज के लिए एक विशेष योजना बनाई। बच्चे के शरीर में दो पैर सामान्य थे, लेकिन दो अन्य पैर असामान्य स्थिति में थे। इसके अलावा उसकी रीढ़ की हड्डी में एक बड़ी सूजन भी थी। इस बच्चे का विकृत शरीर जुड़वा बच्चों की असामान्य स्थिति के कारण हुआ था। डॉक्टरों ने पहले बच्चे की आंतरिक और बाहरी जांचें की और कई विभागों से सहयोग लेकर इस जटिल सर्जरी का फैसला लिया। सर्जरी के दौरान डॉक्टरों को बच्चे की किडनी की विशेष स्थिति और उसकी शारीरिक संरचना को ध्यान में रखते हुए अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ी।

सर्जरी के बाद बच्चे की स्थिति सामान्य

सर्जरी के तीन सप्ताह बाद बच्चे की स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो गई। उसकी शारीरिक विकृतियां अब ठीक हो गईं और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक करने के बाद एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने डॉक्टरों की टीम की सराहना की। उन्होंने इसे मेडिकल क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि बताया। इस जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी के माध्यम से डॉक्टरों ने न केवल बच्चे की जीवन रक्षा की, बल्कि उसे एक सामान्य और स्वस्थ जीवन जीने का मौका भी दिया।


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