उत्तराखंड भू-कानून: पर्यटन हब बनाने के नाम पर ली 123 बीघा सरकारी जमीन, 300 लोगों को बेच दी
करीब बारह साल पहले एक व्यक्ति ने उत्तराखंड सरकार से पर्यटन हब बनाने के नाम पर कई बीघा जमीन ली और बाद में इस जमीन पर प्लाटिंग करके करीब 300 लोगों को बच दी।
Dec 15 2024 11:12AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
उत्तराखंड में एक सशक्त भू कानून की कितनी आवश्यकता है, यह खबर पढ़ कर आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं। करीब बारह साल पहले एक व्यक्ति ने उत्तराखंड सरकार से पर्यटन हब बनाने के नाम पर कई बीघा जमीन ली और बाद में इस जमीन पर प्लाटिंग करके करीब 300 लोगों को बच दी। मोहित डिमरी और उनके साथी नमन चंदोला ने देहरादून में एक बड़े जमीन घोटाले का खुलासा किया है।
123 bighas tourism hub govt land sold for plotting
भू कानून के लिए अक्सर सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने वाले भू कानून समन्वय समिति के संयोजक मोहित डिमरी और उनके साथ ही नमन चंदोला ने देहरादून के रानी पोखरी इलाके में झीलवाला में सरकारी जमीन पर एक बड़े जमीन घोटाले का खुलासा किया है। करीब बारह साल पहले एक व्यक्ति ने उत्तराखंड सरकार से पर्यटन हब बनाने के नाम पर कई बीघा जमीन ली और बाद में इस जमीन पर प्लाटिंग करके करीब 300 लोगों को बच दी। देहरादून के रानी पोखरी के झील वाला में जमीन के नाम पर हुए इस जमीन के खेल में उत्तराखंड के भोले भाले लोगों से कई करोड़ रुपए वसूले गए हैं। अब लोग अपने खून पैसे की कमाई को वापस लेने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
123 बीघा सरकारी जमीन पर बेचे 300 प्लाट
एक बाहर की कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा उत्तराखंड सरकार से पर्यटन हब बनाने के नाम पर लगभग 123 बीघा के आसपास जमीन ली गई। इसके बाद इस जमीन पर प्लाटिंग के नाम पर कई लोगों को जमीन के 300 टुकड़े बेच दिए गए। बेचते वक्त लोगों से प्लॉट की पूरी कीमत की 50% धन राशि एडवांस ली गई। बाद में जब पर्यटन हब की जमीन पर टाउनशिप की परमिशन नहीं मिली तो लोगों को प्लाट भी नहीं मिला और उनका पैसा भी कंपनी गटक गई।
मोहित डिमरी और नमन चंदोला ने किया खुलासा
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अब सामाजिक कार्यकर्ता मोहित डिमरी ने 150 लोगों के डाटा के साथ जब कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक से बात की तो कहा गया कि लोगों का पैसा जल्द ही वापस कर दिया जाएगा। राज्य समीक्षा की सरकार से अपील है कि ऐसे लोग जो उत्तराखंड की सरकारी जमीनों पर लोगों को ठगने से बाज नहीं आ रहे, ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करे.. सरकार को भू-कानून पर सशक्त सन्देश देना चाहिए।