उत्तराखंड: जलवायु और मौसम चक्र में बड़ा परिवर्तन, जनवरी में ही दिखने लगे बुरांस और काफल
धौलछीना के इर्द-गिर्द व बिनसर अभ्यारण के जंगलों में बुरांश का फूल इस बार जनवरी में ही खिल गया। ऐसे प्रदेश के जंगलों में कई जगह काफल पकने को तैयार है। मौसम विशेषज्ञ मौसम चक्र में परिवर्तन को ही इसकी वजह मानते हैं।
Jan 29 2025 12:57PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
उत्तराखंड में पहाड़ी वातावरण में धीरे-धीरे परिवर्तन आ रहा है। इस वर्ष सर्दियों में अब तक केवल कुछ दिन ही बारिश हुई है, जबकि शेष विंटर सीजन सूखा रहा है। इसके परिणामस्वरूप पहाड़ी जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। जनवरी महीने में बुरांश के खिलने और काफल के पकने की स्थिति चिंताजनक है।
Burans and kafal in January, Climate Changed in Uttarakhand
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में खिलने वाला बुरांश का फूल खिलने का सही समय वैसे तो मार्च से मई महीने के बीच का समय होता है. ऐसे ही काफल के पकने का सही समय अप्रैल से जून के महीने का समय होता है. लेकिन पहाड़ों में जलवायु परिवर्तन का असर यहां उगने वाले पेड़-पौधों पर भी हो रहा है. जिसका असर ये देखने को मिल रहा है कि मार्च में खिलने वाला बुरांश का फूल इस साल कई जगह जनवरी महीने में ही खिल गया। राज्य के कई जगह पर काफल भी पकने को तैयार हैं। इस स्थिति पर मौसम विशेषज्ञों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने अपनी चिंता व्यक्त की है।
मौसम चक्र में परिवर्तन
इन दिनों धौलछीना के इर्द-गिर्द व बिनसर अभ्यारण के जंगलों में बुरांश का फूल इस बार जनवरी में ही खिल गया। ऐसे प्रदेश के जंगलों में कई जगह काफल पकने को तैयार है। मौसम विशेषज्ञ मौसम चक्र में परिवर्तन को ही इसकी वजह मानते हैं। पेड़-पौधों का समय से पहले खिलना और फल देना जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का स्पष्ट संकेत है। पहाड़ी क्षेत्रों में बुरांश का एक-दो महीने पहले खिलना, काफल, आड़ू, नाशपाती आदि फलों का जल्दी पकना इसी का परिणाम है। बारिश और बर्फबारी की कमी के कारण इन प्रजातियों को अनुकूल तापमान मिल रहा है, जो चिंता का विषय है। प्रदूषण में वृद्धि ने इस स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है।