National Games: उत्तराखंड की सिद्धि बडोनी ने कलारिपयट्टू में जीता रजत
कलारीपयट्टू खेल तीन हजार साल पुराना खेल है, और इसकी उत्पत्ति भगवान परशुराम से जुड़ी हुई है। यह खेल युद्ध कला प्रदर्शन की श्रेणी में आता है. केरल राज्य में इस खेल का प्रचलन सबसे अधिक है।
Jan 31 2025 11:25AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों के अंतर्गत रिजर्व पुलिस लाइन रोशनाबाद में कलारीपयट्टू प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इस प्रतियोगिता में महिला वर्ग में सिद्धी बड़ोनी ने उत्तराखंड के लिए रजत पदक प्राप्त किया है। इस खेल में प्रदेश के 17 युवा प्रतिभागी अपने कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं। युवाओं द्वारा किए जा रहे करतबों को देखकर दर्शक भी आश्चर्यचकित हैं।
Siddhi Badoni of Uttarakhand won silver in Kalaripayattu
कलारीपयट्टू दक्षिण भारत के केरल राज्य का पारंपरिक खेल है। माना जाता है कि कलारीपयट्टू खेल तीन हजार साल पुराना खेल है, और इसकी उत्पत्ति भगवान परशुराम से जुड़ी हुई है। यह खेल युद्ध कला प्रदर्शन की श्रेणी में आता है. केरल राज्य में इस खेल का प्रचलन सबसे अधिक है। यह खेल काफी जोखिम भरा है और इसके बारे में कुछ विवाद भी चल रहे हैं। 38वें नेशनल गेम्स में कलारीपयट्टू खेल को औपचारिक रूप से शामिल नहीं किया गया है। लेकिन रिजर्व पुलिस लाइन रोशनाबाद में कलारीपयट्टू खेल प्रतियोगिता की गई। कलारीपयट्टू चुवाडुकल महिला वर्ग में उत्तराखंड की सिद्धी बडोनी ने रजत पदक जीतकर राज्य का मान बढ़ाया है। सिद्धी बडोनी उत्तराखंड सचिवालय में संयुक्त सचिव संतोष बड़ोनी की बेटी हैं।
आत्मरक्षा का भी खेल है कलारीपयट्टू
सिद्धी बड़ोनी बताती है कि उनका लक्ष्य कलारीपयट्टू खेल को उत्तराखंड के हर स्कूल तक पहुंचना है. ये खेल आत्मरक्षा का भी खेल है, और खासकर ये खेल लड़कियों के लिए बेहद लाभदायक है. हर लड़की को कलारीपयट्टू खेल सीखना चाहिए. इस खेल को खेलने के लिए किसी बड़े मैदान की भी जरूरत नहीं पड़ती है. कलारीपयट्टू खेल छोटी सी जगह पर भी खेला जा सकता है. उन्होंने कहा कि कलारीपयट्टू को राष्ट्रीय खेलों में शामिल किया जाना चाहिए। सिद्धी का कहना है कि राज्य में अधिकांश लोगों को इस खेल के बारे में जानकारी नहीं है। इसलिए, वह चाहती हैं कि आने वाले समय में इस खेल को आम जनता के बीच लाया जाए, ताकि उत्तराखंड और पूरे देश के युवा इस खेल में रुचि दिखा सकें।