उत्तराखंड: 4 सालों में ढाई गुना बढ़ी अति कुपोषित बच्चों की संख्या, आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 रिपोर्ट
बच्चों को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, भोजन की अनुपलब्धता या अस्वस्थ आहार के कारण कुपोषण का सामना करना पड़ता है। कुपोषण के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो जाता है।
Mar 3 2025 10:53AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
उत्तराखंड में पिछले चार वर्षों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में ढाई गुना वृद्धि हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि प्रदेश में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है। राज्य में वर्ष 2020-21 में अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1129 थी। अब 2024-25 में ये संख्या बढ़कर 2983 हो गई है।
Uttarakhand Economic Survey 2024-25 Report
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020-21 में कुपोषित बच्चों की संख्या 8856 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1129 थी. उसके बाद 2021-22 में कुपोषित बच्चों की संख्या 7658 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 1119 थी. वहीं 2022-23 कुपोषित बच्चों की संख्या 6499 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 952 थी. साल 2023-24 कुपोषित बच्चों की संख्या 4233 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 992 दर्ज की गई थी. लेकिन अब 2024-25 में कुपोषित बच्चों की संख्या 8374 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या पूरे ढाई गुना बढ़कर 2983 पहुँच गई है. बच्चों में कुपोषण का इस तरह बढ़ना एक गंभीर चिंता का विषय है।
शारीरिक और मानसिक विकास बाधित
एनएचएम मिशन निदेशक स्वाति भदौरिया ने इस विषय में जानकारी दी कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जाती है। यदि किसी बच्चे में कुपोषण के कारण गंभीर समस्या उत्पन्न होती है, तो उसका मुफ्त इलाज किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, भोजन की अनुपलब्धता या अस्वस्थ आहार के कारण कुपोषण का सामना करना पड़ता है। कुपोषण के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो जाता है। इसलिए, विकास के लिए विटामिन और पोषक तत्वों का उचित सेवन अत्यंत आवश्यक है।
कुपोषण खत्म करने की योजनाएं
बच्चों में कुपोषण को खत्म करने व महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं बनाई जा रही हैं. चालू वित्तीय वर्ष में दिसंबर माह तक इन योजनाओं पर 430 करोड़ का बजट खर्च किया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कुपोषित और अत्यधिक कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार प्रदान करने के लिए टेक होम राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके बावजूद, अत्यधिक कुपोषित बच्चों की संख्या में वृद्धि हो रही है।