उत्तराखंड: जान हथेली पर रखकर स्कूल पहुंच रहे बच्चे, गर्भवतियों-बीमारों के लिए जहन्नुम है ये जगह
घरुरी के निवासी छात्र ट्रॉली से यात्रा करने के बाद प्रतिदिन दो किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, और इन दिनों बोर्ड परीक्षा देने के लिए उन्हें राजकीय इंटर कॉलेज तक लगभग 2.5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।
Mar 19 2025 11:37AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
यहां एक दूरस्थ पहाड़ी गांव में विद्यार्थियों के साथ अन्य लोगों को भी गांव से बाहर कोई काम पड़ने पर ट्रॉली से नदी पार करनी पड़ती है. विद्यार्थियों को ट्रॉली पार करने के बाद 2 कीमी से अधिक पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता हैं.
No bridge even after 77 years of independence
जनपद पिथौरागढ़ का एक दूरस्थ पहाड़ी गांव "घरुरी" है, जहां के विद्यार्थियों और स्थानीय निवासियों को प्रतिदिन इस समस्या का सामना करना पड़ता है। गांव से नदी पार करने का एकमात्र साधन ट्रॉली है, जिसे चलाने के लिए नदी के एक किनारे खड़े लोगों को रस्सी खींचनी होती है। घरुरी के निवासी छात्र ट्रॉली से यात्रा करने के बाद प्रतिदिन दो किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, और इन दिनों बोर्ड परीक्षा देने के लिए उन्हें राजकीय इंटर कॉलेज तक लगभग 2.5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।
ट्रॉली की रस्सी खींचकर दुख जाते हैं हाथ
इस गांव से किसी गर्भवती महिला को या किसी बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुँचाने के लिए भी इस ट्रॉली का इस्तमाल किया जाता है. घरुरी गांव में छात्रों को पहले स्वयं ही दोनों ओर ट्रॉली को खुद ही खीचना पड़ता था, लेकिन PWD ने अब ट्रॉली के एक छोर पर ट्रॉली खीचने के लिए लिए व्यक्ति को तैनात किया है. छात्रों का कहना है कि पहले ट्रॉली की रस्सी खींचते समय उनके हाथ दुःख जाते थे। इस गांव के बच्चों को बारिश के दौरान विद्यालय आने से मना किया जाता है, क्योंकि मानसून के दौरान ट्रॉली से आवाजाही असुरक्षित है , इस इलाके को भूस्खलन संवेदनशील माना जाता है।
जवानों को तैनात किए जाने की मांग
जानकारी के अनुसार साल 2024 में इस क्षेत्र के लिए एक नया पैदल यात्री पुल स्वीकृत हुआ था। तब से ग्रामीण यहां पुल के निर्माण का इंतजार कर रहे हैं लेकिन अब तक पुल का निर्माण नहीं हुआ है। ग्रामीणों ने मांग की है कि जब तक यहां पर एक स्थायी पुल का निर्माण नहीं होता, तब तक पीएसी के जवानों को साइट पर तैनात किया जाना चाहिए। ताकि ये जवान यहां तैनात रहकर बीमार व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं या विद्यार्थियों को ट्रॉली पार करने में मदद कर सकें।