image: Fake teacher dismissed from service in Rudraprayag

रुद्रप्रयाग: फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहा था शिक्षक, अब हुई 5 साल की कैद और 15 हजार जुर्माना

आरोपी शिक्षक त्रिलोक सिह कठैत को कठोर कारावास के साथ दी गई है और साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया गया है। यदि जुर्माना नहीं भरा गया, तो तीन महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
May 16 2025 2:32PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

फर्जी शिक्षक चौधरी चरण सिंह ने बी-एड की फर्जी डिग्री के आधार पर बनाई सरकारी नौकरी प्राप्त की थी। विभागीय जांच में पकडे जाने पर अदालत ने फर्जी शिक्षक पर पन्द्रह हजार रुपए का जुर्माना और पांच साल के लिए कारावास की सजा सुनाई है।

Fake teacher dismissed from service in Rudraprayag

उत्तराखंड के जनपद रुद्रप्रयाग में तैनात शिक्षक त्रिलोक सिंह कठैत पुत्र भगत सिंह ने फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर शिक्षक की नौकरी प्राप्त की थी. फर्जी शिक्षक ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के नाम पर वर्ष 1993 में बीएड की फर्जी डिग्री प्राप्त की। शिक्षा विभाग के एस०आई०टी एवं विभागीय जॉच के दौरान शिक्षक की बी०एड की डिग्री का सत्यापन कराया गया. जिसमें शिक्षक त्रिलोक सिंह की बी०एड० की डिग्री फर्जी पायी गई। शिक्षा विभाग रूद्रप्रयाग ने एस०आई०टी जांच के आधार पर फर्जी शिक्षक के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया। विभाग द्वारा फर्जी शिक्षक को तत्काल निलम्बित कर बर्खास्त किया गया.

5 साल जेल में काटेगी सजा

बीते बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अशोक कुमार सैनी के न्यायालय द्वारा फर्जी शिक्षक त्रिलोक सिह कठैत को फर्जी बी०एड० की डिग्री के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के संबंध मे दोषी करार किया गया. आरोपी शिक्षक त्रिलोक सिह कठैत को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 420 के तहत 05 वर्ष की कठोर कारावास की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यदि जुर्माना नहीं भरा गया, तो तीन महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं, धारा 471 के तहत दोषी पाए जाने पर 02 वर्ष की कठोर कारावास और 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना न चुकाने पर एक महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगाआरोपी शिक्षक त्रिलोक सिह कठैत को
न्यायिक हिरासत में लेकर आरोपी फर्जी शिक्षक त्रिलोक सिह कठैत को दंड भुगतने के लिए जिला कारागार पुरसाड़ी, जनपद चमोली भेजा गया। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी विद्वान अभियोजन अधिकारी प्रमोद चन्द्र आर्य द्वारा की गई है।


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