देवभूमि का बेटा बना देश के लिए मिसाल, शहर छोड़ा, गांव लौटा और रचा इतिहास!
Sep 22 2017 10:47AM, Writer:सुनील
कछ बातें ऐसी होती हैं, जो हमें हमेशा हमेशा के लिए कुछ सिखाती हैं। ऐसा ही एक चेहरा है हरिओम नौटियाल। वो युवा जो कभी सॉफ्टवेयर इंजीनियर और रिसर्चर के पद पर रहकर बेहतरीन कमाई कर रहा था। लेकिन वो जिंदगी पर नौकरी नहीं बल्कि कुछ और करना चाहता था। वो अपनी जड़ों की ओर वापस लौटा और इतिहास रच दिया। आपको जानकर हैरानी होगी इस नौजवान का अगला लक्ष्य एक हजार लोगों को रोजगार देना है। हम बात कर रहे हैं 33 साल के हरिओम नौटियाल की। हरिओम नौटियाल ग्राम बड़कोट, रानीपोखरी, देहरादून में खेती किसानी की एक पाठशाला तैयार कर चके हैं। हरिओम का एक डेयरी फार्म है। ये महज कुछ गाय भैंसों का एक बाड़ा नहीं, बल्कि इसे आप दुनिया के लिए मिसाल कह सकते हैं। ये फार्म बहतरीन तरीके से डिजायन किया गया है।
इस फार्म में गाय-भैसों के अलावा, मुर्गी पालन और मशरूम का उत्पादन भी किया जाता है। इन सबकी बदौलत हरिओम हर महीने करीब डेढ़ लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं। माता-पिता तो चाहते थे बेटा इंजीनियर बने। एमसीए करने के बाद हरिओम ने दिल्ली और बंगलूरू में सॉफ्टवेयर रिसचर्स की मोटी पगार वाली नौकरी भी की। लेकिन दिल में अपनी मिट्टी से जुड़कर कुछ कर गुजरने की चाहत थी। आखिरकार नौकरी छोड़ी और अपना काम करने का फैसला लिया। 2014 में हरिओम ने पांच गायों से डेयरी शुरू की। आज उनके फार्म में 12 गायें और एक भैंस है। इनमें हरियाणवी, सायवाल, रेड सिंधी और जर्सी जैसी नस्लें शामिल हैं। हरिओम ने अपना फार्म खुद डिजाइन किया। डेयरी फार्म क अलावा आपको यहां मुर्गी पालन के लिए दो बड़े हॉल नजर आएंगे।
इसके अलावा भूतल में देसी मुर्गियों के लिए अलग बाड़ा बनाया गया। डेयरी के आंगन में ही मशरूम उत्पादन के लिए अंडरग्राउंड कमरे बनाए गए हैं। स्टोर और डेयरी में काम करने वाले कर्मियों के रहने की व्यवस्था अलग से की गई। हरिओम ने होम डिलीवरी के कांसेप्ट को थोड़ा और आगे बढ़ाया है। वो चिकन और अंडों की भी होम डिलीवरी शुरू कर चुके हैं। की है, वह भी बाजार भाव से बेहद कम दाम पर। बाजार में इस वक्त 180 से 200 प्रति किलो चिकन बिक रहा है, जबकि हरिओम यही चिकन 130 प्रति किलो के हिसाब से घर पर उपलब्ध कराते हैं। हरिओम कहते हैं कि देसी नस्ल की गाय पालना फायदे का सौदा साबित होता है। इन गायों में बीमारियों का खतरा कम रहता है। खुद पीएम मोदी भी ऐसे युवाओं को आधुनिक भारत का भविष्य बताते हैं। गर्व है इस उत्तराखंडी पर