image: Skeleton of garhwal rifles two jawans found in france

फ्रांस में गढ़वाल राइफल के दो जवानों के अवशेष मिले, वीर गढ़वालियों को दुनिया को सलाम

Oct 25 2017 4:03PM, Writer:सुमित

गढ़वाल राइफल के शौर्य और साहस के किस्से तो आपने सुने ही होंगे। आज एक और खबरक की तस्दीक कर लीजिए, जिससे आपको गर्व होगा कि आप भी उस गढ़भूमि से हैं, जहां ऐसे वीर सपूत पैदा हुआ हैं। प्रांस से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई है। दरअसल वहां खुदाई के दौरान कुछ जवानों के अवशेष मिले हैं। इनमें से दो अवशेष भारतीय सेना के जवानों के हैं। फ्रांस से ही ये जानकारी मिली है कि दो अवशेष भारतीय सेना के जवानों के हैं। भारत सरकार को इस बारे में सूचना दे दी गई है और सैनिकों की शिनाख्त के लिए बुलावा भेजा गया है। खबरों के मुताबिक ये दोनों ही अवशेष 39 गढ़वाल राइफल्स के हैं। दोनों अवशेषों के कंधों पर 39 टाइटल शोल्डर है। इसी आधार पर फ्रांस की सरकार ने भारत की सरकार को शिनाख्त के लिए बुलावा भेजा। ये खबर मिलते ही लैंसडौन सैन्य अधिकारियों का एक दल फ्रांस रवाना हो गया है।

गढ़वाल राइफल्स के एक अधिकारी का कहना है कि फ्रांस सरकार की ओर से ये जानकारी मिली है कि फ्रांस में रिंचेबर्ग नामक जगह पर खुदाई हुई थी। इस दौरान कुछ सैनिकों के अवशेष मिले हैं। ये अवशेष चार सैनिकों के हैं। इनमें से दो अवशेष गढ़वाल राइफल के सैनिकों के हैं। इसके अलावा एक अवशेष जर्मन और एक ब्रिटिश सैनिक का है। अवशेषों की बकायदा जांच की गई है और पता चला है कि ये टाइटल शोल्डर गढ़वाल राइफल्स के हैं। इन सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए फ्रांस की सरकार ने भारत के एक प्रतिनिधिमंडल को फ्रांस आने के लिए आमंत्रित किया है। गढ़वाल राइफल्स के कमांडिग ऑफिसर ब्रिगेडियर इंद्रजीत के नेतृत्व में चार सैन्य अधिकारियों और सैनिकों की टीम फ्रांस रवाना हो गई है। इसके बाद वहां जाकर इन दोनों सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। गढ़वालियों के शौर्य की कहानी यहीं खत्म नहीं होती।

फ्रांस सरकार के प्रतिनिधि की ओर से सूचना दी गई है कि दोनों भारतीय जवानों के कंधे पर 39 लिखा है। इससे पता चलता है कि ये दोनों जवान 39 गढ़वाल राइफल्स से संबंध रखते हैं। ये सभी अवशेष लेवेन्टी सैन्य कब्रिस्तान से 11 किमी दूर उत्तर दिशा की तरफ मिले हैं। बताया जा रहा है कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 39 गढ़वाल राइफल्स के जवानों को अंग्रेजों की तरफ से युद्ध लड़ने के लिए फ्रांस भेजा गया था। अगस्त 1914-15 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रजिमेंट की प्रथम और द्वितीय बटालियनों ने मेरठ डिविजन की प्रसिद्ध गढ़वाल ब्रिगेड के अंर्तगत फ्रांस के युद्ध में हिस्सा लिया था। ब्रिगेड की अन्य बटालियन थी 2 लीस्टरर्स और 2/3 गोरखा। फ्रांस में भारतीय ने 5 विक्टोरिया क्रास जीते जिनमें से 3 गढ़वाल ब्रिगेड ने जीते थे। गढ़वाली, कुमाऊंनी एवं गोरखा कम्पनी में उस दौरान थोड़ा बदलाव किया गया था और शुद्ध रूप से गढ़वाली पलटन बनाई गई, जिसका नाम 39वीं गढ़वाली रेजीमेंट इनफैन्ट्री रखा गया।


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