image: Now Hotel alaknanda is the property of uttarakhand

देवभूमि में जो आज तक ना हो पाया, वो योगी आदित्यनाथ और सीएम त्रिवेंद्र ने कर दिखाया

Dec 18 2017 8:29AM, Writer:आदिशा

बीते 17 सालों से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच जो विवाद चलता आ रहा था आखिरकार वो सुलझ गया है। दोनों ही सरकारों के प्रतिनिधियों के बीच एक अच्छी बातचीत हुई है। इस पहल का नतीजा ये रहा है कि उत्तराखंड को हरिद्वार के अलकनंदा होटल का मालिकाना हक मिल गया है। बीते 17 सालों के दौरान कई सरकारें गई और आई लेकिन अब तक इस मामले में मजबूत पहल कहीं से भी नहीं हो पाई थी। आखिरकार ये बेशकीमती परिसंपत्ति उत्तर प्रदेश के कब्जे से निकलकर उत्तराखंड के कब्जे में आ गई है। होटल अलकनंदा खास क्यों है, जरा ये भी जान लीजिए। दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार बनने के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र के बीच मुलाकात हुई थी, जिसके कुछ दिनों बाद ही दोनों राज्यों की मुख्य सचिवों के बीच एक बैठक हुई।

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इस बैठक के बाद से ही ये कयास लगाए जाने लगे थे कि उत्तराखंड को अलकनंदा होटल का मालिकाना हक मिल सकता है। इतना जरूर है कि इस होटल का मालिकाना हक मिलने के बाद उत्तराखंड को काफी फा.दा मिल सकता है। यहां आपको ये भी बता दें कि केन्द्र और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें होने के चलते इस होटल के मालिकाना हक को लेकर काफी विवाद रहा। सुप्रीम कोर्ट में मामला होने की वजह से केन्द्र सरकार इस पर कोई फैसला नहीं ले सकी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब इस पर सख्ती दिखाई तो उत्तर प्रदेश ने उत्तराखंड को ये तर्क दिया था कि ये जमीन पर्यटन विकास परिषद की है। इसके साथ ही खास बात ये है कि ये कंपनी एक्ट में पंजीकृत है, इसलिए परिषद पूरे देश में कहीं भी जमीन खरीद सकता है। ऐसे में इसके बंटवारे का प्रश्न नहीं।

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हालांकि कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अलकनंदा रिजॉर्ट को देने पर तो सहमति जता दी लेकिन ये भी साफ किया कि इसके बदले में उत्तराखंड को गंगा किनारे जमीन देनी होगी। आखिरकार आपसी समझौते के बाद उत्तर प्रदेश द्वारा ये होचल उत्तराखंड को दिया जा रहा है। हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल का कहना है कि उत्तर प्रदेश पुनर्गठन एक्ट के अनुसार जहां पर जो संपत्ति होगी वो उसी प्रदेश की होगी। इसलिए अलकनंदा होटल तो उत्तराखंड का ही था, अब औपचारिक रूप से ये हमें दिया जा रहा है, जो अच्छा कदम है। जाहिर सी बात है कि इससे उत्तराखंड में पर्यटन को भी काफी लाभ मिलेगा। इसके अलावा बाकी पार्टियों ने भी यूपी और उत्तराखंड सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है।


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