उत्तराखंड के पीयूष बनूनी से कुछ सीखिए, विदेश की नौकरी छोड़ी, गांव लौटकर रचा इतिहास
Dec 27 2017 2:24PM, Writer:कपिल
उत्तराखंड में कुछ चेहरे ऐसे हैं, जो लगातार अपनी कोशिशों से देवभूमि को सजाने और संवारने का काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक युवा पीयूष बनूनी भी हैं। पीयूष बनूनी उत्तरकाशी के रहने वाले हैं। वो विदेशियों को योग ध्यान का ज्ञान दे चुके हैं। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि फ्रांस, स्विट्जरलैंड, जर्मनी और चेक रिपब्लिक के लोगों को वो योग और ध्यान के जरिए नया जीवन दे चुके हैं। लेकिन अब इस युवा ने वापस अपने गांव का रुख किया है। अब पीयूष ने उत्तरकाशी को योग और पर्यटन का केंद्र बनाने की सोची है। इसके लिए उन्होंने अपने गांव के पुश्तैनी घर को सजाया-संवारा और बकायदा होम स्टे शुरू करवा दिया है। आपको ताज्जुब होगा कि देश-विदेशों से लोग यहां आ रहे हैं।जिला मुख्यालय से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर पठालियों से बने अपने पुश्तैनी घर पीयूष ने सही तरीके से सजाया और संवारा।
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आज यहां रह रहे देश और विदेश के यात्री योग-ध्यान के साथ साथ पहाड़ की संस्कृति से भी रू-ब-रू हो रहे हैं। उत्तरकाशी जिले के कोटबंगला के रहने वाले पीयूष बनूनी ने उत्तरकाशी में ही अपनी शिक्षा हासिल की थी। इसके बाद 2007 में वो मदुरै चले गए और वहां स्थित अंतरराष्ट्रीय शिवानंद योग संस्थान से योग का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद वो बहामस में करीब 5 साल तक योग प्रशिक्षक रहे। इसके अलावा उन्होंने यूरोप के कई मुल्कों में योग प्रशिक्षण शिविर आयोजित करवाए थे। पीयूष ने सोचा कि ये सब उत्तराखंड में भी तो हो सकता है। आखिरकार नए इरादों और नए हौसलों के साथ ये युवा अपने गांव पहुंचा और उसके बाद सफलता की एक नई इबारत खड़ी कर दी। अब पीयूष विदेशों में योग सिखाने के बजाय उत्तरकाशी को ही योग-ध्यान और पर्यटन का हब बनाना चाहते हैं।
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विदेशी लोग अब पहाड़ की संस्कृति से रू-ब-रू हो रहे हैं। इसके साथ ही पहाड़ के गांव में बना उनका घर लोगों को काफी पसंद आ रहा है। उत्तरकाशी शहर के आसपास होम स्टे के लिए ये पहला घर है। पीयूष का कहना है कि भारत की संस्कृति, सभ्यता, पहाड़ और परिवेश से विदेशी लोगों को परिचित कराना उनका सबसे पहला लक्ष्य है। दरअसल आज के दौर में करने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन इसके लिए सबसे पहले हौसला और हिम्मत चाहिए। पीय़ूष ने हाथ पर हाथ धरे रहने के बजाय ये रास्ता चुना और इसमें वो कामयाब हो रहे हैं। पीयूष अब लोगों को भी इस काम के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इससे लोगों को घर बैठे रोजगार मिलने लगेगा। आज विदेशी पर्यटक होटलों के बजाय गांव में स्थानीय लोगों के बीच रहना ही पसंद कर रहे हैं। पीयूष की इस कोशिश को राज्य समीक्षा का सलाम।