उत्तराखंड को घेरने को तैयार चीन, रक्षा विशेषज्ञों का मोदी सरकार को अलर्ट !
Jan 5 2018 2:09PM, Writer:कपिल
आपको याद होगा कि नरेंद्र मोदी ने जब भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला था तो नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी का ऐलान किया था। लेकिन बीते करीब चार साल से पड़ोसी मुल्क भारत से ज्यादा चीन के करीब दिख रहे हैं। पाकिस्तान और चीन के बीच का अटूट रिश्ता तो आप जानते ही होंगे। दक्षिण एशिया में चीन सिर्फ भूटान को छोड़कर बाकी सभी देशों पर अपनी पकड़ बना चुका है। चीन धनबल के जरिए भारत के तमाम पड़ोसी मुल्कों की मदद कर रहा है। सबसे पहले उत्तराखंड की बात कर लेते हैं। ये तो आपको पता ही होगा कि चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ऐलान कर चुका है कि ‘’डोकलाम के बाद ये ना समझा जाए कि चीन हार गया है, चीन उत्तराखंड के रास्ते भी भारत को मात दे सकता है।’’ इसके साथ ही उत्तराखंड से सटी चीम सीमा के नजदीक चमोली में चीन के हेलीकॉप्टर दिखने की भी बात कही गई थी।
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अब चीन उत्तराखंड को घेरने के लिए नया प्लान रच रहा है। उत्तराखंड के नजदीक कहे जाने वाले नेपाल की बात करते हैं। नेपाल में लेफ्ट पार्टियों की साझा सरकार में केपी शर्मा ओली के हाथों में सत्ता है। ओली ने कई बार चीन के प्रति अपना झुकाव साबित किया है। नेपाल भौगोलिक तौर पर भी भारत के ज्यादा करीब है। इस बीच नेपाल के नए संविधान में भारतीय मूल के मधेसियों की उपेक्षा के आरोपों के बाद से भारत और नेपाल के रिश्तों में एक तनाव सा है। नेपाल में चीन ने अपना निवेश बढ़ा दिया है। यहां चीन रेल लाइन बिझाने जा रहा है। साफ है कि भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी ये एक बड़ा खतरा है। बताया जा रहा है कि चीन नेपाल में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट शुरू करने जा रहा है। इसके अलावा भी भारत के लिए खतरे की और बड़ी बातें हैं। हाल ही में चीन और मालदीव के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है।
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इसे भारत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। पाकिस्तान के बाद मालदीव दक्षिण एशिया में दूसरा ऐसा देश है, जहां चीन के साथ फ्री फ्री ट्रेड अग्रीमेंट हुआ है। खास बात ये है कि हिंद महासागर के अहम कारोबारी रूट पर मालदीव स्थित है। मालदीव में चीन कई बड़े प्रोजक्ट चला रहा है। बताया जा रहा है कि चीन अब श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश के साथ भी फ्री ट्रेड अग्रीमेंट करने की तैयारी कर रहा है। श्रीलंका ने हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर चीन की कंपनी को दिया है, जो कि सामरिक मामलों की अहम कड़ी कहा जा सकता है। उधर बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार की भी बात कर लेते हैं। बांग्लादेश और चीन के बीच 2002 में एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ था। बांग्लादेश को दो चीनी पनडुब्बियां दी जा रही हैं और ये भारत की चिंता का बड़ा सबब है। अब सवाल ये है कि मोदी सरकार इस पर क्या कदम उठाएगी।