image: Scientist gave warning about om parvat

उत्तराखंड से दुनिया को मिला बड़े खतरे का संकेत, वक्त से पहले नजर आया 'ॐ' पर्वत

Jan 18 2018 4:33PM, Writer:कपिल

दुनियाभर में जो आजकल हो रहा है, वो बड़ी चिता का सबब है। एक तरफ अमेरिका में उम्मीद से ज्यादा बर्फबारी हो रही है और कई इलाकों में लोग संकट में जूझ रहे हैं। उधर भारत में स्थिति ठीक विपरीत है। जनवरी का महीने में आमतौर पर उत्तराखंड की वादियां बर्फ से लकदक रहती थीं। लेकिन इस बार तो हिमालय की चोटियां भी खाली खाली हैं। अभी से पहाड़ों पर काले धब्बे नजर आने लगे हैं। उत्तराखंड में कैलाश मानसरोवर रूट पर ऊं पर्वत पड़ता है। हैरानी की बात तो ये है कि यहां अभी से ही 'ॐ' की आकृति दिख रही है। फर्क ये है कि आम तौर पर मई और जून के महीने में ही इस पर्वत पर ऊं लिखा दिखता है। इस बार बर्फबारी बेहद कम दर्ज की गई है। इसके साथ ही अगर बर्फ गिरी भी है, तो बेहद ही जल्दी पिघल गई है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिग का असर अभी से दिख रहा है।

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इस बार हिमाचल प्रदेश हो या फिर उत्तराखंड, दोनों ही राज्य इस बार भीषण बर्फबारी से अछूते रहे हैं। जनवरी महीने के जाते जाते दोनों राज्यों में सूखा पड़ा है। हिमाचल में सेब की फसल को लेकर अभी से चिंता जताई जा रही है, तो उत्तराखंड में भी कई मौसमी फसलों के लिए ये बड़ा खतरा है। उत्तराखंड के लिए वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ऐसा ही रहा तो गर्मियों में पानी की समस्या पैदा हो सकती है। उत्तराखंड की बात करें तो यहां जनवरी महीने के आखिर तक 100 फीसदी तक बारिश कम हुई। उत्तराखंड के औली में बर्फबारी कम हुई तो स्कीइंग चैंपियनशिप की तारीखों को आगे बढ़ा दिया गया। उत्तराखंड में बर्फबारी कम हुई, तो इसका असर केदारनाथ में भी दिखा। वैज्ञानिकों ने साफ कहा है कि केदारनाथ और हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ गिरकर सीधे पिघल रही है। ये जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है।

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आने वाले वक्त के लिए ये खतरे का संकेत साबित हो सकता है। केदारनाथ जैसे हिमालयी क्षेत्र में इस वक्त भी बर्फ का न टिकना अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। केदारनाथ के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा कि धाम में सही मात्रा में बर्फबारी नहीं हुई है। जो बर्फबारी हो भी रही है, जो बेहद जल्दी पिघल भी रही है। ऐसे में वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् इसे बड़ा खतरा बता रहे हैं। वैज्ञानिकों और पर्यावरण विदों का कहना है कि ये जलवायु परिवर्तन है और भविष्य के लिये अच्छा संकेत नहीं है। अब ऊं पर्वत से भी ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं, जो कि आने वाले वक्त के लिए खतरे की वॉर्निंग कही जा सकती है। केदारनाथ धाम में कुिछ दिन पहले ही तीन से चार फीट तक बर्फ जमी थी। लेकिन उतनी ही जल्दी से ये बर्फ पिघल भी गई है। बीते सालों की बात करें तो इस वक्त केदारनाथ में पांच से 6 फीट तक बर्फबारी दर्ज की जाती थी। इस बार हालात अलग हैं ।


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