उत्तराखंड के सपूत की उड़ान, ब्रिटेन की महारानी ने भेजा पैग़ाम, दुनिया ने किया सलाम
Feb 2 2018 11:47AM, Writer:कपिल
कहते हैं कलम में बड़ी ताकत होती है। जो सरहदें लांघ दे वो कलम है, जो दिलों को दिलों से जोड़ दे वो कलम है, उठती बंदूकों की जो गोलियां थाम दे वो कलम है। इसी कलम के सिपाही हैं केप्टन कुनाल नारायण उनियाल। अगर आप उत्तराखंड के इस व्यक्तित्व के बारे में नहीं जानते, तो जानिए क्यों देर सवेर भविष्य आपको इनसे रू-ब-रू करवा सकता है। मर्चेंट नेवी के इस केप्टन ने कलम को हमराही बना दिया। आज कुनाल की लिखी किताब ‘स्पेरो इन मिरर’ देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में लोगों के द्वारा पसंद की जा रही है। इसका सबूत खुद ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने दिया है। महारानी एलिजाबेथ ने उन्हें प्रशंसा पत्र भेजा है। अब आप सोच रहे होंगे कि कैसे एक मर्चेट नेवी का केप्टन लेखक बन गया। चलिए इस बारे में आपको बताते हैं।
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हमने कुनाल के बारे में थोड़ा जानने की कोशिश की, एक वेबसाइट को उन्होंने इंटरव्यू दिया था। उसमें कुनाल कहते हैं कि 2002 में जब वो 17 साल के थे तो उन्होंने समन्दर का रुख किया, मर्चेंट नेवी ज्वॉइन की और ये सिलसिला आज तक चल रहा है। कुनाल कहते हैं कि पढ़ाई और लिखाई में बचपन से ही रूचि थी, लेकिन वो संशय में थे कि कहां से शुरू करें। 2014 में कुनाल की पहली किताब "कुछ ख्वाब सागर से" के नाम से छपी। आज तक कुनाल 8 किताबों को लिख चुके हैं। हिंदी के अलावा इंग्लिश, इतालियन, फ्रेंच, स्पेनिश और ग्रीक भाषा में कुनाल ने किताबें लिखी हैं। एक और खआस बात ये है कि कुनाल की हर किताब में भारतीय संस्कृति की छाप मिलेगी। कुनाल की कोशिश रहती है कि अपनी किताब के जरिए वो भारतीय संस्कृति को पूरे विश्व के सामने लाएं।
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कुनाल की किताब ‘स्पेरो इन मिरर’ की तारीफ हर जगह हो रही है। मेयर ऑफ लंदन और फर्स्ट मिनिस्टर ऑफ वेल्स ने भी कुनाल को खत भेजा है। खास बात ये भी है कि कुनाल अपनी किताबों के जरिये उत्तराखंड की संस्कृति का भी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। कुनाल असल जिंदगी में केप्टेन हैं साथ ही उन्हें कलम का कप्तान भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। वो लगातार आगे बढ़ रहे हैं, नए ख्वाब सजा रहे हैं, नई सोच को अपनी कलम के जरिए हमेशा के लिए यादगार बना रहे हैं। राज्य समीक्षा की टीम की तरफ से कुनाल उनियाल को हार्दिक शुभकामनाएं। यूं ही आगे बढ़ते रहिए। किताब और कलम के लिए सरहदों की जरूरत नहीं होती, वो बेफिक्र होकर परवाज़ करती हैं। इसी तरह से देश का नाम रोशन कीजिए।