उत्तराखंड के रूपकुंड पर वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी रिसर्च, यहां किसके नरकंकाल हैं ? सब जानिए
Feb 7 2018 5:25PM, Writer:आदिशा
वो एक ऐसी झील है, जहां कदम कदम पर नरकंकाल मिलते हैं। लेकिन इन कंकालो का राज आज तक नहीं खुल पाया था। किसी का कहना था कि ये सेना के जवानों के कंकाल हैं, तो किसी ने कहा था कि सिकंदर के जमाने से इन कंकालों का ताल्लुक है। लेकिन अब इस झील के बारे में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। हम आपको बता रहे हैं रूपकुंड का रहस्य। उत्तराखंड में मौजूद ये झील आज भी वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है। उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी चोटी के नीच ये झील मौजूद है, जो सालभर में करीब 6 महीने बर्फ से ढकी रहती है। इस झील में वक्त वक्त पर नरकंकाल मिलते रहे हैं। वैज्ञानिकों ने नई रिसर्च में बताया है कि ये कंकाल सिकंदर के जमाने से ढाई सौ साल पुराने नरकंकाल हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सिकंदर से पहले भी ग्रीक देशों के लोग यहां आए थे। इस हिम झील में पड़े सैकड़ों नर कंकालों की डीएनए जांच कराई गई है।
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इसके बाद वैज्ञानिक अब इस पर आखिरी शोध की तैयारी में जुट गए हैं। इससे पहले वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर भी पहुंच गए थे कि हो सकता है कि ये सिकंदर की सेना की टुकड़ी रही हो। लेकिन अब कुछ और ही बात सामने आई है। कंकालों की डीएनए जांच के बाद पता चला है कि ये घटना सिकंदर से ढाई सौ साल पहले की है। खास बात ये भी है कि नर कंकालों के पास युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले कोई हथियार भी नहीं मिले हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रीक देशों के लोग किसी जमाने में यहां घूमने आए होंगे। यहां नर कंकालों के 100 सैंपल की एक बार फिर जांच की गई। इन कंकालों की ऑटो सुमल डीएनए, माइट्रोकोंड्रियल और वाई क्रोमोसोमल डीएनए जांच कराई गई। जांच में पता चला है कि ये ग्रीक लोगों के कंकाल हैं। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि कुछ कंकाल स्थानीय लोगों के भी हैं।
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दरअसल शोध टीम ने आसपास के इलाकों के करीब आठ सौ लोगों की भी डीएनए जांच की है। इसके बाद ये पता चला कि यहां ग्रीक लोगों और स्थानीय लोगों के कंकाल हैं। इस तथ्य ने वैज्ञानिकों को एक बार फिर से चौंका दिया है। बीरबल इंस्टीट्यूट आफ पेलियो साइंसेस के विज्ञानिकों ने एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया में आयोजित हुई कार्यशाला में इस बारे में अपनी शोध को बताया है। उन्होंने बताया कि सैंपल की डीएनए जांच से ग्रीक का मिलान हो रहा है। इसमें अभी और शोध की जरूरत है। आपको बता दें कि रूप कुंड समुद्र तल से 16 हजार 499 फीट ऊंचाई पर स्थित है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये नरकंकाल 850 ईसवी के हैं। रूप कुंड राज की और भी राज़ खोलने के लिए एंथ्रोपोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया जल्द ही एक प्रोजक्ट शुरू करने जा रहा है। देखना है कि आगे इन नरकंकाल को लेकर और क्या क्या बातें सामने आती हैं।