उत्तराखंड के 5 गांव खतरे में, जमीन के नीचे दफन हैं 555 जिंदा मिसाइल, अलर्ट मोड पर NSG!
Feb 15 2018 2:59PM, Writer:कपिल
मिसाइल का नाम जब जुबां पर आता है, तो दिल धक्क रह जाता है कि आखिर वो क्या बला होगी, जो बड़े बड़े देशों को तबाह करने की ताकत रखती है। लेकिन जरा सोचिए कि तब क्या होगा जब किसी गांव के नीचे ही बीते 13 सालों से 555 जिंदा मिसाइल हों। सोचने से ही दिमाग सन्न रह जाता है। चलिए आपको इस बारे में कुछ खास बातें बता देते हैं। एक वेबसाइट के हवाले से खबर मिली है कि उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले के जसपुर के पतरापुर चौकी के पास ऐसा ही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये मिसाइलें आज से नहीं बल्कि बीते 13 सालों से यहां जमीन के नीचे दफन हैं। बताया जा रहा है कि यहां 5 गांवों की करीब 20 हजार से ज्यादा आबादी बारूद के ढेर पर है। लंबे प्रोसेस के बाद अब इन मिसाइल्स को डिफ्यूज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऊधमसिंह नगर एसएसपी का कहना है कि इन मिसाइलों को निष्क्रिय करने की पहल शुरू हो गई है।
यह भी पढें - Video: ‘हम उत्तराखंडी देश दिखा देंगे कि हम किस काबिल हैं’, पहाड़ी शेर का खुला ऐलान
यह भी पढें - उत्तराखंड की दर्दनाक तस्वीर, सड़क और इलाज के अभाव में बुजुर्ग की तड़प-तड़पकर मौत
बताया जा रहा है कि इसके लिए कुछ सामान भी खरीदा गया है। बताया जा रहा है कि इन मिसाइलों को डिफ्यूज करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स की टीम को बुलाया गया है। ऊधमसिंह नगर के एसएसपी डॉ. सदानंद दाते ने इस बारे में मीडिया को कुछ खास बातें बताई हैं। उनका कहना है कि इन मिसाइलों को डिस्पोज़ करने के लिए बजट जारी कर दिया गया है। इसके लिए NSG से संपर्क कर लिया गया है। बताया जाता है कि 21 दिसंबर 2004 को स्क्रैप आया था। काशीपुर स्थित एसजी स्टील फैक्ट्री में ये स्क्रैप आया था। इस स्क्रैप को काटने के दौरान इसमें मौजूद एक मिसाइल फटी थी। इस दौरान एक शख्स की मौत भी हो गई थी। बाद में जब जांच की गई तो यहां 67 बड़ी मिसाइलें मिली थी। इसके अलावा 488 छोटी मिसाइलें मिली थीं। उस वक्त कहा गया था कि स्टील फैक्ट्री में विदेशों से भी स्क्रैप आता था।
यह भी पढें - Video: उत्तराखंड में दो दर्दनाक हादसे, 10 लोगों की मौत से मचा मातम !
यह भी पढें - उत्तराखंड में सच साबित हुआ मौसम विभाग का अलर्ट...देहरादून में बारिश, पहाड़ों में बर्फ
हालांकि ये मिसाइलें सक्रिय थीं या नहीं इसका जवाब पुलिस के पास भी नहीं था। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि इन मिसाइलों को डिस्पोज़ करने के लिए 7 जनवरी 2005 को भी NSG की टीम यहां पहुंची थी। बताया जाता है कि उस वक्त टीम के पास इन्हें डिस्पोज़ करने के लिए पूरा साज़ो सामान नहीं था। बाद में इन मिसाइलों को जसपुर की पतरामपुर चौकी के पास सूनी जगह पर दबा दिया गया था। तब से वक्त वक्त पर इन्हें निष्क्रिय करने की आवाज उठती रही है। अब बताया जा रहा है कि इन मिसाइलों को डिफ्यूज करने के लिए इलेक्ट्रिक डेटोनेटर नंबर 33, इग्नाईटर सैफ्टी फ्यूज इलेक्ट्रिक, टीएनटी स्लैब और कार्ड डेटोनेटिंग का इंतजाम किया गया है। केन्द्रीय शस्त्र भंडार 31 वीं वाहिनी पीएसी रुद्रपुर की तरफ से ये सामान जुटाया गया है। देखना है कि कितनी जल्दी ये 555 जिंदा मिसाइल डिफ्यूज़ होती हैं।