उत्तराखंड में प्रकृति का वरदान, जिसे दुनिया ढूंढ रही है, वो यहां है...वैज्ञानिक खुश हुए
Feb 16 2018 7:28PM, Writer:कपिल
अगर आप पर्यावरण प्रेमी हैं, अगर आपको जीव-जंतुओं से प्यार है, तो आपके लिए ये खबर बेहतरीन है। एशिया समेत पूरी दुनिया में आजकल गिद्धों पर भयंकर संकट मंडरा रहा है। खासतौर पर भारत में गिद्धों की गिनती लगातार कम हो रही है। जहां गिद्धों ने अपना आशियाना बनाया था, वो वहां भी नहीं दिख रहे। ऐसे में हिंदुस्तान के एक पार्क से शुभ संकेत मिला है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा राजाजी पार्क आजकल घोर संकट से जूझ रहे गिद्धों से आबाद हो गया है। हाल ही में राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना की जा रही थी। इस दौरान वनकर्मियों को पार्क की कांसरो रेंज में बड़ी संख्या में दुर्लभ गिद्ध नजर आए हैं। खास बात ये भी है कि वनकर्मियों को यहां शाहीन बाज़ भी नजर आए है, जो कि अच्छी खबर है। वनकर्मियों को जबसे यहां गिद्ध और शाहीन बाज नजर आए हैं, तबसे वो उत्साहित नजर आ रहे हैं।
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इसके अलावा वन्य जीव विशेषज्ञ भी इसे बेहतरीन खबर बता रहे हैं। वो पर्यावरण के लिए और पारिस्थिकी तंत्र के लिए इसे अच्छा संकेत मान रहे हैं। आम तौर पर राजाजी नेशनल पार्क में एशियन हाथी, शेर, चीतल, भाली, हाइना और सांभर जैसे जीव दिखते हैं। इसके अलावा भी इस पार्क में कई दुर्लभ जीव-जंतुओं का संसार बसता है। आपको जानकार खुशी होगी कि इस पार्क में 350 से भी ज्यादा प्रजातियों के पक्षी हैं। अब वन्य जीवों की गणना के काम में लगे वन कर्मियों को राजाजी टाइगर रिजर्व की कांसरो रेंज की बुल्लावाला बीट में चील, बाज और गिद्ध की प्रजातियां नजर आई हैं। इनमें सबसे ज्यादा सफेद गिद्ध हैं। रेंज अधिकारी का कहना है कि इनकी संख्या अभी 50 से 60 के बीच में है। वैज्ञानिक बताते हैं कि पारिस्थितिकी तंत्र में शिकारी पक्षियों की भूमिका सबसे ज्यादा अहम होती है।
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ये वातावरण को साफ रखने में मदद करते हैं। खास बात ये है कि ये मरे हुए जानवरों को खाकर बीमारियां फैलने से भी रोकते हैं। लाल सिर वाले गिद्ध को भारत में राजा गिद्ध भी कहा जाता है। ये विलुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल है। पहले ये गिद्ध मध्य और पश्चिमी भारत से लेकर दक्षिणी भारत में भी पाए जाते थे। लेकिन इंसानों की आबाद बढ़ने के साथ ही इनकी संख्या में लगातार कमी आ रही है। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने गिद्ध की इस प्रजाति को घोर संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल किया है। लाल सिर वाले गिद्ध पर सबसे बड़ा संकट मंडरा रहा है। हालांकि बीच में इन गिद्धों का जबरदस्त तरीके से शिकार होने लगा था। इस वजह से इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही थी। इसके अलावा एक और खास बात ये है कि भारत में पशु चिकित्सा में डिक्लोफेनाक का इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से भी गिद्ध कम हो रहे हैं।