उत्तराखंड का पहाड़ी गांव, जहां आजादी के बाद पहली बार पहुंची बस...लोगों ने आरती उतारी
Feb 23 2018 2:58PM, Writer:कपिल
कहते हैं सड़क ही विकास का सबसे पहला पहिया होता है। बिना सड़क कैसा विकास ? खास तौर पर दूर दराज के गावों की बात करें तो आज भी कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने वाहन तो छोड़िए अपने गांव में सड़क तक नहीं देखी। ऐसे में जब किसी गांव में पहली बार बस पहुंचती है, तो एक अलग ही अहसास होता है। आजादी के 71 सालों के बाद इस गांव में सड़क पहुंची है। उत्तराखंड के खूबसूरत जिलों में से एक पिथौरागढ़ का गानुरा गांव, देश की आबादी से एकदम अलग। यहां के लोगों का रहन-सहन और जीवन यापन का अलग ही तरीका था। आज तक इस गांव के लोगों के लिए विकास के मायने कुछ नहीं थे। जाहिर सी बात है कि बिना सड़क कैसा विकास ? कैसा इलाज ? कैसी शिक्षा ? और क्या अस्पताल ? इसलिए आबादी से ये गांव एकदम कटा था। गानुरा गांव के लोगों को 71 साल से सड़क नसीब नहीं हुई थी।
यह भी पढें - उत्तराखंड में आजादी के बाद पहली बार, इस गांव में पहली बार पहुंची बिजली की रोशनी
यह भी पढें - देहरादून से पंतनगर सिर्फ 25 मिनट में, किराया देश में सबसे कम, इसी महीने से शुरुआत !
लेकिन गुरुवार का दिन इस गांव के लोगों के लिए दोहरी खुशी लेकर आया। गांव में मानो त्योहार मनाया गया। इस गांव में पहली बार बस पहुंची, तो उसका स्वागत दुल्हन की तरह किया गया। गांव की सबसे बुजुर्ग महिला ने बस की आरती उतारी और बस पर टीका लगाया। खुशी इस बात की है कि आखिरकार 71 साल के बाद गानुरा गांव में बस पहुंची और दुख इस बात का है कि आजादी के 71 लंबे सालों तक इस गांव ने सड़क देखी ही नहीं। सिर्फ वादे देखे, हर 5 साल में होने वाले वादे इन लोगों के लिए बस वादे ही रह गए थे। अब जब इस गांव में सड़क पहुंची तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जश्न का माहौल है। इन लोगों के चेहरे बता रहे थे कि इनके लिए बस कितनी अजीज़ है। कच्ची सड़क पर रेंगती हुई बस आखिरकार इस गांव तक पहुंच ही गई। इस सड़क की लंबाई कुल मिलाकर 14 किलोमीटर है।
यह भी पढें - उत्तराखंड में आजादी के बाद पहली बार, इस गांव के लोगों को नसीब हुई बिजली
यह भी पढें - उत्तराखंड का वो गांव...जहां आजादी के बाद पहली बार किसी को सरकारी नौकरी मिली
गंगोलीहाट से इस सड़क को गानुरा गांव तक तैयार किया गया है। इस सड़क से जुड़ने पर लोक निर्माण विभाग की सहायक अभियंता रीना नेगी परीक्षण के लिए इस सड़क से बस लेकर पहुंची।इस गांव की सबसे बुजुर्ग महिला हैं किड़ी देवी। उन्होंने दीपक जलाकर बस का स्वागत किया। किड़ी देवी कहती हैं कि पूरी उम्र निकल गई और आंखें बस के ही इंतजार में रहीं। उनका कहना है कि आखिरकार अब जाकर गांव तक सड़क और बस पहुंचने का सपना साकार हुआ है। हालांकि किड़ी देवी को अपने गांव की फिक्र है और कहती हैं कि लोग अब गांव छोड़कर नहीं जाएंगे। आपको बता दें कि गानुरा गांव तहसील मुख्यालय से 26 किलोमीटर की दूरी पर है। इस गांव के लोगों को इससे पहले दस किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती थी। इसके बाद मड़कनाली पहुंच कर ही वाहन मिलते थे।