Video: उत्तराखंड को फूलदेई की बधाई, अमेरिका में पहाड़ी बच्चों की ये तस्वीर देखिए
Mar 14 2018 10:14AM, Writer:आदिशा
अमेरिका में बच्चों के हाथ में फूलदेई की परंपराओं से सजी फूलों की टोकरी और उत्तराखंड में मुस्कुराते पांडवाज। परंपराएं उत्तराखंडियों को उत्तराखंड से जोड़े रखती हैं। आधुनिकता की दौड़ में य़े बात भी कचोटती है कि हम अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों से दूर होते चले जा रहे हैं। खुशी इस बात की है कि युवाओं ने कोशिश की, तो देवभूमि के बड़े पर्व को मनाने की जागरूकता सभी के दिलों में जिंदा भी हुई। फूलदेई (फुलारी) यूं तो सदियों से उत्तराखंड के घरों में द्वार-द्वार को फूलों की महक से सजाता रहा है। शहर नहीं बल्कि गांवों में इस त्योहार को प्राथमिकता के साथ मनाया जाता था। लेकिन डर इस बात का लगने लगा था कि गांवों से भी अब ये त्योहार गुम होने लगा था। इस बीच कुछ अलग हुआ था। कहते हैं संगीत एक ऐसी विधा है, जो रिवाज़ों से आपका मेल कराती है, जो डूबती परंपराओं की वेदना आप तक पहुंचाती है।
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उत्तराखंड में पांडवाज़ ने भी कुछ ऐसी ही कोशिश की थी। 26 फरवरी 2017 का दिन था। वो फुलारी लेकर आए थे। सच कहें तो लोगों को अपनी परंपराएं जीने का एक और मौका मिल गया था। इतनी खूबसूरती से इस गीत को रचा गया था कि हर उत्तराखंडी के दिल में गुमसुम से शांत पड़े परंपराओं के सागर में ज्वार सा आ गया था। देश ही नहीं विदेशों तक इस गीत ने हर उत्तराखंडी के दिल पर असर डाला था। इसी दौरान फूलदेई त्यौहार भी आया, तो लगभग हर जगह ये गीत सुनाई दिया। इस दौरान अमेरिका के ऐशबर्न से एक बेहतरीन तस्वीर सामने आई थी। एशबर्न में रहने वाले उत्तराखंडी मूल के बच्चे अमेरिका में ही फूलदेई मनाने लगे थे। जुबां पर वो ही गीत, हाथों में फूलों की टोकरी और दिल में परंपराओं की पाती लिए इन बच्चों की खूबसूरती देखने लायक थी।
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उम्मीद तो ये भी है कि इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिले। अब आप कहेंगे कि सिर्फ संगीत के माध्यम से ऐसा हो, ये मुमकिन नहीं। तो इसका जवाब भी बड़ा सीधा सा है कि इससे पहले तो ऐसी तस्वीर कभी देखने को नहीं मिली थी। खैर सवाल भावनाओं और परंपराओं के बीच संगीत के मधुर रिश्ते का है। अमेरिका के एशबर्न में बच्चों द्वारा मनाई गई फुलारी का ये वीडियो भी देखिए।