इस जिलाधिकारी पर उत्तराखंड को गर्व है, पहाड़ की गरीब बेटी को नवरात्र पर बचा लिया
Mar 27 2018 9:21PM, Writer:कपिल
उत्तराखंड में ऐसे जिलाधिकारी अपने कामों की वजह से लगातार लोकप्रिय हो रहे हैं। जनता के दिलों में ऐसे जिलाधिकारियों की अलग ही जगह बन रही है। ऐसे ही हैं उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉक्टर आशीष चौहान, जिनके लिए मानवता की सेवा ही परम धर्म है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी के प्रयासों से एक बच्ची को नई जिंदगी मिली है। नन्हीं बच्ची के दिल में छेद होने की बात जब जिलाधिकारी डॉक्टर आशीष चौहान को पता लगी, तो उन्होंने बच्ची को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया। दरअससल विकास खण्ड चिन्यालीसौड़ के चिलोट गांव की उषा के दिल में छेद होने से अकसर सीने में दर्द की शिकायत रहती थी। उषा की उम्र महज 13 साल है। परिवार को जब इस बात का पता चला तो उनकी हिम्मत जवाब दे गई। घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से वो इलाज कराने में असमर्थ थे। लोगों को इस बात का पता चला तो गांव का एक व्यक्ति उन्हें जिलाधिकारी कार्यालय ले गया।
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इसके बाद परिजनों ने जिलाधिकारी के सामने अपनी समस्या रखी। जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान ने तुरंत जिला अस्पताल में बच्ची का स्वास्थ्य परीक्षण कराया। इससे पहले भी उषा के दिल में छेद होने का पता चला था। वक्त पर बच्ची का इलाज करवाया गया और आज बच्ची जिंदगी की नई सांसे ले रही है। दो महीने के बाद डॉक्टर ने जब अस्पताल से उषा के उपचार के बाद छुट्टी दी तो उषा के चेहरे पर उत्साह देखते बन रहा था। उषा ने बताया कि पहले छाती में बहुत दर्द होता था लेकिन डाक्टर अंकल ने मुझे अब ठीक कर दिया है, और अब मेरे सीने में दर्द नहीं होता। वहीं उपचार के बाद लौटी उषा और उसकी मां ने जिलाधिकारी का आभार प्रकट किया। इलाज के बाद ऊषा के चेहरे पर खिलखिलाती हंसी थी। इस मुस्कुराहट को देखने के लिए माता-पिता बीते दो महीने से तरस गए थे।
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जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान ने कहा कि उषा के ईलाज में बाल विकास एवं जिला प्रशासन का खास सहयोग रहा। इन्हीं के प्रयास से उषा आज हमारे बीच में मौजूद है। लोगों में जिलाधिकारी के कार्यों की खूब तारीफ हो रही है। उषा की मां ने बताया कि जिलाधिकारी हमारे लिए फरिश्ते बनकर आए हैं, हम उनके इस अहसान को जिंदगी भर नहीं भूलेंगे। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के प्रयासों से मेरी बेटी को नया जन्म मिला है इसके लिए हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे। उषा की मां ने बताया कि पति का पूर्व में देहांत हो चुका है। वो खेती करके अपने परिवार का भरण- पोषण करती हैं। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण बच्ची का इलाज नहीं करा पा रहे थे। जिलाधिकारी के प्रयासों से ये संभव हो पाया। धन्य हैं ऐसे जिलाधिकारी, जो लगातार अपने कामों से देश में उत्तराखंड का नाम रोशन कर रहे हैं।