image: Uttarakhand police jawan suresh snehi contribution to save gadwali

20 साल से गढ़वाली बोली को बचाने में जुटा है उत्तराखंड पुलिस का ये जवान...गर्व है

May 19 2018 4:17PM, Writer:मिथिलेश

उत्तराखंड पुलिस का एक जवान ऐसा भी जो गढ़वाली बोली और भाषा के संरक्षण के लिए कई सालों से कोशिश कर रहा है। अब जाकर उत्तराखंड पुलिस के फेसबुक पेज के माध्यम से इस बात की जानकारी मिली है। यूं तो उत्तराखंड पुलिस में आपको शानदार एथलीट, ईमानदार पुलिसकर्मी और बेहतरीन चित्रकार भी मिलेंगे। लेकिन इन सबके बीच एक जवान ऐसा भी जिसके बारे में उत्तराखंडवासियों का जानना जरूरी है। इनका नाम है सुरेश स्नेही। सुरेश स्नेही मूलरूप से श्रीनगर गढ़वाल के रहने वाले हैं। बीते 20 सालों से वो उत्तराखंड पुलिस में तैनात हैं। इनके कलम की ताकत गज़ब की है। हम आपको तस्वीरों के जरिए इनकी कुछ गढ़वाली कविताएं भी देखा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आपको लगेगा कि वास्तव में उत्तराखंड पुलिस का ये जवान गढ़वाल की बोली और भाषा को बचाने के लिए प्रयत्नशील है।
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बिराणी छवीयुमा
Suresh Snehti poem
अपनी ड्यूटी का फर्ज निभाने के साथ साथ उनके द्वारा अपनी मातृभाषा को बचाने की शानदार कोशिश की जा रही है। अब उनकी कई गढ़वाली कविताऐं और लेख अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं। खासतौर पर उत्तराखंड पुलिस की पत्रिका में उनके लेख और कविताएं हर साल प्रकाशित की जाती हैं। सुरेश स्नेही देहरादून में तैनात हैं। उनके काम करने के तरीके से हर कोई परिचित है और यहां तक कि उत्तराखंड के डीजीपी अनिल रतूड़ी द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।
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आपदा
Suresh Snehti poem
गढ़वाली बोली में लिखा गया अपना पहला कविता संग्रह उन्होंने ‘बिराणी छ्वीयूंमां’ नाम से संकलित किया है। साल 2013 में केदारनाथ में आई प्रलंयकारी आपदा, कन्या भ्रूण हत्या और पलायन जैसे गंभीर विषयों पर भी सुरेश स्नेही ने कविताएं लिखी हैं। खासतौर पर केदारनाथ आपदा पर लिखी उनकी कविता जबरदस्त है। आप भी पढ़िए।


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