उत्तरकाशी के नाल्ड गांव की पूनम राणा से सीखिए ज़िंदगी और ज़िंदादिली का मतलब
May 23 2018 8:48AM, Writer:आदिशा
पहाड़ की इस बेटी ने अपना परिवार खो दिया। परिवार का कोई एक सदस्य भी चला जाए, तो कितनी परेशानी होती है। इस बेटी ने पिता को खोया, मां को खोया, दो भाइयों को खोया लेकिन हौसला नहीं खोया। हार न मानने की जिद ही तो जिंदगी है। 21 साल की पूनम राणा उत्तरकाशी के नाल्ड गांव की रहने वाली हैं। जिंदगी में मुश्किलों के पहाड़ को पार करते हुए इस बेटी ने दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर पर तिंरगा लहराया है। वो एवरेस्ट जहां जाना दुनिया के हर पर्वतारोही का सपना होता है। वो एवरेस्ट जहां एक भी चूक हो गई तो हजारों फीट नीचे गिरकर वास्ता मौत से होता है। उस एवरेस्ट को पार करने का ख्वाब बुना था पहाड़ की इस बेटी ने। आइए आपको इस बेटी की जिंदगी से वाकिफ करवाते हैं, जिसे जानकर आप भी इस बेटी को दिल से सलाम करेंगे।
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सिर्फ 6 महीने की बच्ची के सिर से मां का साया उठ गया। जब पूनम पांच साल की हुई तो पिता ने भी साथ छोड़ दिया। जब पूनम 17 साल की हुईं, तो बड़े भाई कमलेश की मौत हो गई। 2016 में एक रोड एक्सीडेंट में उनके छोटे भाई की भी मौत हो गई। परिवार में अब सिर्फ तीन बेटियां बची हैं। अब क्या करें और क्या ना करें ? खाने कमाने को कुछ नहीं। ऐसे में पूनम की जिंदगी में बचेंद्री पाल भगवान बनकर आईं। बचेंद्री पाल ने पूनम के हालातों को समझा और उन्हें उत्तरकाशी बेस कैंप में ही इंस्ट्रक्टर के पद पर रख लिया। यहां से पूनम ने नए ख्वाब बुनना शुरू कर दिए। जिंदगी की असल कीमत क्या होती है, ये उससे पूछिए जिसके घर में दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं होती। पूनम को जिंदगी की कीमत पता थी। नौकरी मिलने के बाद वो पर्वतारोहण और आगे की पढ़ाई में जुट गई।
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सिर्फ दो साल के भीतर ही पूनम ने बचेंद्री पाल को बेहद प्रभावित किया। लक्ष्य पर निशाना साधते हुए पूनम आज उनका नाम एवरेस्ट विजेताओं में शामिल हो गया है। फिलहाल पूनम उत्तरकाशी में ही पीजी की छात्रा हैं। जिनकी गुरू बचेंद्री पाल हों, उस शिष्य के लिए क्या मुश्किलें और क्या बाधाएं। बचेंद्री पाल ने इस टीम को इतना मजबूत हौसला दिया कि तीनों ने ही एवरेस्ट के शिखर पर तिंरगा फहरा लिया। 1984 में बचेंद्री पाल ने एवरेस्ट फतह किया था और 33 साल बाद उत्तरकाशी की एक और बेटी ने इतिहास रच दिया। इसके साथ ही संदीप टोलिया और स्वर्णलता को भी हार्दिक शुभकामनाएं। इसी तरह से रास्ते में आने वाली हर मुश्किल को पार कीजिए। इसी तरह से आगे बढ़िए और देवभूमि को गौरवान्वित करने वाले पल देते रहिए।