Video: देवभूमि का वो जागृत सिद्धपीठ, जहां साक्षात् रूप में मौजूद हैं नागराज और मणि!
May 23 2018 4:22PM, Writer:कपिल
उत्तराखंड...जहां हर स्थान अपना धार्मिक महत्व लिए है। हिंदू सनातन धर्म में चौतीस कोटि देवी-देवताओं की पूजा होती है। आज हम आपको उत्तराखंड के आराध्य देव लाटू देवता के बारे में बताने जा रहे हैं। ये एक ऐसा मंदिर है जहां साल में सिर्फ एक दिन के लिए मंदिर के कपाट खुलते हैं। खास बात ये है कि पुजारी भी आंख बंद करके इस मंदिर में पूजा करते हैं। इसके अलावा श्रद्धालु दूर से ही इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। चमोली जिले के देवाल विकासखंड का वाण गांव अपने पारंपरिक महत्व के लिए विश्वविख्यात है। इस गांव में लाटू देवता का मंदिर स्थित है। लाटू देवता को देवभूमि की आराध्य भगवती नंदा देवी का धर्म भाई भी कहा जाता है। 'लाटू देवता स्थानीय लोगों का आराध्य देवता माना जाता है। वाण में स्थित लाटू देवता के मंदिर के कपाट सालभर में एक ही बार खुलते हैं।
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जिस दिन कपाट खुलते हैं उस दिन यहां विशाल मेला लगता है। माना जाता है कि इस सिद्ध पीठ में नागराजा साक्षात रूप में अपनी मणि के साथ निवास करते हैं। कहा जाता है कि पुजारी नागराजा को देखकर ना डरें इस वजह से आंख पर पट्टी बांधी जाती है। लोगों का ये भी कहना है कि मणि की तेज रौशनी की चुंधियाहट किसी भी इन्सान को अंधा बना देती है। पुजारी के मुंह की गंध देवता तक न पहुंचे इसलिए मुंह पर पूजा अर्चना के दौरान पट्टी बांधी जाती है। इस मंदिर के कपाट एक दिन के लिए खुलते है और उसी दिन सांय को बंद कर दिए । इस दिन लाटू देवता मंदिर में श्रद्धालु भारी संख्या में आकर पूजा अर्चना कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां श्रद्धालु तो दूर स्वयं पुजारी भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाता है। पुजारी आंखों व मुंह पर पट्टियां बांधकर लाटू देवता की पूजा अर्चना करता है।
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मंदिर से कोई अंदर न देखे इसके लिए मंदिर के मुख्य कपाट पर पर्दा लगाया जाता है। इसलिए उसके मुंह पर पूजा अर्चना के दौरान भी पट्टी बंधी रहती है। जिस दिन लाटू देवता के कपाट खुलते हैं उस दिन यहां पर विष्णु सहस्रनाम व भगवती चंडिका का पाठ भी आयोजित किया जाता है।