image: Young lad from Uttarakhand is the Human for Humanity

उत्तराखंड का 'रियल लाइफ पैडमैन' जिसे 'यूनाइटेड नेशन' ने सम्मानित किया... आप भी दें शुभकामनायें

May 28 2018 7:14PM, Writer:ईशान

उत्तराखंड के युवाओं के क्या कहने। अनुराग चौहान। देहरादून के रहने वाले हैं। महिला सशक्तीकरण पर काम कर रहे हैं। महिलाओं में सेनेटरी पैड को लेकर जो धारणा है, उसे दुरुस्त करते हैं... महिलाओं को जागरूक करते हैं। अनुराग को एक दिन पता लगा कि अपने भारत में 150000 महिलाओं की असमय मृत्यु केवल इस कारण हो जाती है क्योंकि उन्हें माहवारी के दौरान स्वच्छता बनाये रखने के सम्बन्ध में सही जानकारी नहीं होती। ये आंकड़े अनुराग ने 2012 में एक हेल्थ सर्वे रिपोर्ट में देखे। और हनीं से उनके जीवन को एक नई दिशा मिल गयी। अक्षय कुमार की 'पैडमैन' आपने देखी होगी, उसी काम को रियल लाइफ पैडमैन अनुराग चौहान अपने ही अंदाज में कर रहे हैं। उम्र महज 24 साल, लेकिन सोच और जज्बा ऐसा कि पैडमैन फिल्म बनाने वाली अक्षय की पत्नी अभिनेत्री ट्विंकल भी उनकी मुरीद हैं। ट्विंकल ने ईमेल भेजकर अनुराग के काम की तारीफ की, तो अनुराग का अपने काम के लिए विश्वास और अधिक जागा।
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अनुराग के काम की ख़ास बात ये है कि वो किसी भी घर के पुरुषों से माहवारी को लेकर बात करते हैं और फिर घर की महिलाओं को सेनेटरी पैड के इस्तेमाल को लेकर जागरूक करने को कहते हैं। अनुराग की इस बेहतरीन पहल से महिलाओं का नजरिया बदलना तो स्वाभाविक था, पुरुषों का भी नजरिया बदल रहा है। देहरादून के बद्रीपुर, डिफेंस कॉलोनी रोड के रहने वाले अनुराग चौहान ने महिला सशक्तिकरण की पहल 20 वर्ष की उम्र में ही कर दी थी। अनुराग ने सबसे पहले 'वॉश' प्रोजेक्ट शुरू किया था। उनका स्वयं वित्त पोषित संगठन Human for Humanity साल 2014 से महिला सशक्तीकरण के लिए लगातार काम कर रहा है। अनुराग की इस संस्था के सदस्य ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को मुफ्त सिनेटरी पैड बांटते हैं। ये संस्था महिलाओं को घर पर ही उपलब्घ पुराने कपड़ों से पैड तैयार करने का प्रशिक्षण देती है। साथ ही उनकी टीम के डॉक्टर सिनट्री पैड के प्रयोग, महिलाओं के खान-पान और साफ-सफाई से सम्बंधित तथ्यों की जानकारी देते हैं।
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अभी अनुराग उत्तराखंड के साथ ही दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई गांवों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं। सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वर्ष 2016 में करमवीर चक्र पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। अनुराग का कहना है कि महिलाओं के गिरते लिंगानुपात का सबसे बड़ा कारण महिलाओं को मूलभूत जानकारियों का अभाव है, जोकि एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है। यहाँ सबसे ख़ास बात ये है कि अनुराग की संस्था Human for Humanity भारत के साथ ही पूरे संसार के 17 देशों से आये हुए स्वयंसेवकों को भी प्रशिक्षण देती है। इसमें जापान, इटली, चीन, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, स्पेन, मिस्र समेत कई अन्य देश शामिल हैं। प्रशिक्षण के बाद ये स्वयंसेवक भारत में भी कार्य करते हैं और मलिन बस्तियों और ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करते हैं। अनुराग और उनके जैसे कई उत्तराखंडी युवा हैं जो अपने शानदार काम से अपना और अपने परिजनों के साथ ही उत्तराखंड का भी नाम विश्व में ऊँचा कर रहे हैं। शुभकामनाएं अनुराग... मातृभूमि का नाम ऐसे ही रौशन करते रहो।


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