उत्तराखंड पुलिस का बेमिसाल काम.. पहाड़ की बेटी का भविष्य बचाया, रोका बाल विवाह
Jun 27 2018 3:59PM, Writer:कपिल
उत्तराखंड पुलिस अगर यहां एक्शन नहीं लेती तो पहाड़ की बेटी एक कुप्रथा के दंश का शिकार हो जाती। अगर सही वक्त पर कार्रवाई नहीं होती तो एक नाबालिग बेटी का भविष्य और जिंदगी खतरे में पड़ सकती थी। दरअसल पिथौरागढ़ के अस्कोट के एक गांव में शादी की शहनाई बज रही थी। बारात लड़की के गांव पहुंचने वाली थी। सब कुछ ठीक चल रहा था और इसी बीच पता चला कि जिस बेटी की शादी करवाई जा रही है, वो नाबालिग है। बाल विवाह का शिकार होने जा रही उस बेटी क मासूम मन में जाने क्या सवाल घुमड़ रहे होंगे, लेकिन वो चुप थी। तुरंत ही अस्कोट थाने को ये बात पता चली और पुलिस सक्रिय हो गई। कोतवाली प्रभारी धीरेंद्र कुमार के साथ सब इन्स्पेक्टर अशोक धनकड़, मोहन सिंह रावत और महिला पुलिस मौके पर पहुंच गए।
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मौके पर पुलिस पहुंची तो देखा कि बारात के स्वागत की तैयारियां हो रही थी। जैसे ही पुलिल दरवाजे पर पहुंची, तो लोगों में हड़कंप मच गया। धीरे धीरे गांव वाले भी वहां जमा होने लगे। इसके बाद पुलिस ने दुल्हन की उम्र की सही जानकारी ली। तमाम कागजात चेक करने के बाद पाया कि लड़की की उम्र 17 साल है। खुद दुल्हन से भी पूछा तो उसने भी अपनी उम्र 17 साल बताई। इसके बाद माता-पिता से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें उम्र की बाध्यता के कानून की जानकारी नहीं थी। यहां हम आपको बता दें कि 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी को भारत का कानून इजाज़त नहीं देता है। बाल विवाह कराना एक अपराध है क्योंकि बेटियों की जिंदगी और भविष्य इससे खतरे में पड़ जाते हैं। छोटी सी उम्र में मां बनना किसी के भी स्वास्थ्य और जिंदगी पर असर डाल सकता है।
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इसके बाद पुलिस ने एक और जिम्मेदारी को निभाया। पुलिस द्वारा लड़की के माता-पिता से शपथ पत्र भरवाया गया कि 18 साल का होने के बाद ही उसकी शादी करवाएंगे। जिस वक्त पुलिस कार्रवाई कर रही थी, उसी वक्त शादी में भाग लेने आए नाते-रिश्तेदार भी खिसकने लग गए। बताया तो ये भी जा रहा है कि कुछ लोगों के द्वारा शादी करवाकर दुल्हन को मायके में ही रखने की बात कही गई लेकिन पुलिस की सक्रियता की वजह से ये काम भी नहीं हो सका। आखिर में दुल्हन के बालिग होने के बाद ही दोनों पक्षों द्वारा शादी करने पर सहमति बनी है। यहां आप देख सकते हैं कि उत्तराखंड पुलिस का एक छोटा सा काम समाज में बड़ा संदेश फैला सकता है। बाल विवाह की कुप्रथा को हमेशा ना कहें और समाज में बेटियों के स्वास्थ्य और भविष्य का ध्यान रखें।