image: Rudraprayag people afraid of earthquake

रुद्रप्रयाग जिले में फिर आया भूंकप, 24 घंटे के भीतर दूसरी बार दहशत में लोग!

Jul 10 2018 3:47PM, Writer:कपिल

एक तो लगातार होती बारिश से भूस्खलन और दूसरी तरफ भूकंप। उत्तराखंड के लोगों पर प्रकृति की दोहरी मार पड़ रही है। बताया जा रहा है कि 3 बजे के लगभग एक बार फिर से रुद्रप्रयाग जिले में भूकंप महसूस किया गया। ऐसे में लोग दहशत में हैं। इस बार भूकंप की तीव्रता कितनी है, ये तो जल्द ही पता लग जाएगा लेकिन दो दिन में दूसरी बार भूंकप का झटका महसूस होना किसी बड़े खतरे का संकेत है। आपको बता दें कि सोमवार को भी रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि काफी लोगों को इसका पता नहीं चल पाया था। लेकिन एक बार फिर से महसूस हुए भूकंप के झटके की वजह से लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। खास बात ये भी है कि उत्तराखंड भूकंप की दृष्टि से जोन आठ में शामिल है।

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पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और चमोली में भूकंप की हल्के झटके की घटनाएं काफी हो रही हैं। सोमवार को दोपहर को 1.35 बजे भूकंप का झटका महसूस किया गया था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.2 दर्ज की गई थी और इसका केंद्र रुद्रप्रयाग के पास था।पिछले महीने 14 जून के उत्तरकाशी में भूकंप का झटका महसूस किया गया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.0 दर्ज की गई थी। इसका केंद्र उत्तरकाशी के बड़कोट के पास था। अब एक बार फिर से रुद्रप्रयाग जिले में भूकंप का झटका महसूस किया गया है। इससे पहले भूगर्भ वैज्ञानिक बता चुके हैं कि 50 सालों से हिमालय में जो भूकंपीय ऊर्जा भूगर्भ में एकत्रित है, उसका अभी सिर्फ 5 प्रतिशत ही बाहर आया है। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान ने अपनी रिसर्च में ये बात सामने आई है।

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वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ये इतनी ऊर्जा है, जिससे कभी भी आठ रिक्टर स्केल तक का बड़ा भूंकप आ सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सारे छोटे बड़े भूकंपों को मिलाकर सिर्फ पांच फीसदी ऊर्जा ही बाहर निकली है। इसका मतलब है कि अभी 95 फीसदी भूकंपीय ऊर्जा भूगर्भ में ही जमा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ऊर्जा कब बाहर निकलेगी, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। एक वैज्ञानिक रिसर्च ये भी कहती है कि देहरादून में भी एक भूगर्भीय प्लेट धधक रही है। साथ ही कहा गया कि इंडियन प्लेट भूगर्भ में 14 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की रफ्तार से सिकुड़ रही है। इस वजह से ऊर्जा का अध्ययन करना जरूरी था। इस रिसर्च में उत्तरकाशी में 1991 में आए 6.4 रिक्टर के भूकंप, किन्नौर में 1975 में आए 6.8 रिक्टर स्केल के भूकंप और चमोली में 1999 में आए 6.6 रिक्टर स्केल के भूकंप के बारे में रिपोर्ट बताई गई हैं।


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