image: Record tourist visiting uttarkashi and harsil

उत्तराखंड के स्विट्जरलैंड में 56 साल बाद लौटी बहार, इस बार टूटे सारे रिकॉर्ड

Jul 13 2018 2:41PM, Writer:कपिल

साल 1962 में चीन-भारत के बीच युद्ध हुआ तो उत्तराखंड की इस जगह को इनर लाइन घोषित कर दिया गया था। प्रतिबंधित जगह होने की वजह से यहां आने जाने के लिए विदेशी सैलानियों को प्रशासन की अनुमति लेनी पड़ती थी। इसके बाद भी सैलानी दिन में यहां घूम सकते थे लेकिन रात तक हर हाल में वापस आना होता था। जून 2017 में गृह मंत्रालय द्वारा इस कस्बे को इनर लाइन से हटाने का ऐलान किया गया। जी हां हम बात कर रहे हैं हर्षिल की। वो खूबसूरत जगह जो सैलानियों के लिए स्विट्जरलैंड से कम नहीं। उत्तरकाशी में बंदरपूंछ पर्वत, सुदर्शन पर्वत, सुमेरू पर्वत और श्रीकंठ पर्वत की गोद में बसा है हर्षिल गांव। अब पहली बार देखा गया है कि हर्षिल में बड़ी संख्या में सैलानी आए और ठहरे। इनर लाइन से हटने के बाद हर्षिल में पर्यटन के नए द्वार खुले हैं।

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जनवरी 2018 से लेकर अब तक यहां दो लाख से ज्यादा सैलानी आ चुके हैं, जो कि पहली बार हुआ है। क्या आप जानते हैं कि हर्षिल की खास बात क्या है? यहां कदम-कदम पर नैचुरल रॉक गार्डन यानी पत्थरों के बागीचे फैले हुए हैं।
harsil Uttarkashi Uttarakhand
हर्षिल की बेपनाह खूबसूरती को देखकर ही यहां फिल्म इंडस्ट्री के शो-मैन कहे जाने वाले राज कपूर ने राम तेरी गंगा मैली फिल्म की शूटिंग करवाई थी।

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एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी ने मीडिया को बताया है कि इनर लाइन से हटने के बाद विदेशी पर्यटक यहां आसानी से ठहर सकते हैं। यहां सुंदरता के साथ पर्यटकों के लिए अच्छी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
harsil Uttarkashi Uttarakhand
यही वजह है कि हर्षिल में पर्यटन बढ़ रहा है, जो भविष्य के लिए सुखद संकेत है। इस बार विदेशी सैलानियों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। विदेशी सैलानी होम स्टे में रहना काफी पसंद कर रहे हैं।

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हर्षिल की कहानी भी बड़ी शानदार है। जलंध्री और भागीरथी नदी के संगम पर एक शिला पर आज भी प्राचीन हरि मंदिर विराजमान है। इस वजह से इस जगह का नाम हर्षिल (हरि शिला) पड़ा था।
harsil Uttarkashi Uttarakhand
हर्षिल को 18वीं सदी में ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी फ्रेडरिक विल्सन ने असली पहचान दिलाई थी। उन्हें आज भी 'द किंग ऑफ हर्षिल' कहा जाता है। 1962 के युद्ध के बाद हर्षिल को इनर लाइन क्षेत्र में शामिल कर लिया गया था। अब जाकर 56 साल बाद यहां बहार लौट आई है।


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