उत्तराखंड में मिला वो बेशकीमती पौधा, जिसमें छुपा है गंभीर बीमारियों का इलाज
Jul 15 2018 7:38PM, Writer:कपिल
आज दुनियाभर में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों की बेहद डिमांड है। देखा जा रहा है कि लोग अब आर्युर्वेद और नेचरोपैथी की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं। ऐसे में दुनिया के सामने सबसे बड़ी सवाल ये है कि आखिर इस प्राकृतिक संपदा को कैसे बचाया जाए। यकीन मानिए उत्तराखंड इसके लिए सबसे मुपीद जगहों में से एक है। जी हां उत्तराखंड में उस पौधे की खोज हुई है, जो दुनियाभर में विलुप्ति की कगार पर है। अनंतमूल नाम का ये पौधा इतना गुणकारी है कि गंभीर रोगों का इलाज भी पलभर में कर देता है। हल्दवानी की लालकुआं स्थित वन अनुसंधान पौधशाला केंद्र द्वारा इस पौधे की खोज की गई है। वन अनुसंधान पौधशाला के वन क्षेत्राधिकारी नवीन रौतेला ने बताया है कि अनंतमूल को उनकी पौधशाला द्वारा संरक्षित किया जाएगा। इसके बीज और पौधों को तैयार कर पहाड़ी इलाकों में लगाया जाएगा। अब आपको बताते हैं कि अनंतमूल के बेमिसाल फायदे क्या क्या हैं।
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दुनियाभर के लिए ये एक बेशकमती पौधा है। सिरदर्द में अनन्तमूल की जड़ को पानी में घिसकर इसका लेप लगाने से तुरंत ही आराम मिलता है। बच्चों को अगर सूखा रोग हो जाए तो अनन्तमूल की जड़ और बायबिडंग का चूर्ण बराबर की मात्रा में मिलाकर आधा-आधा चम्मच की सेवन करवाएं। इससे बेहद लाभ मिलता है। पथरी और पेशाब की रुकावट हो तो अनन्तमूल की जड़ के 1 चम्मच चूर्ण को 1 कप दूध के साथ पीजिए। बहुत ही तेजी से पथरी का इलाज हो जाता है। इसके अलावा शरीर में खून साफ रखने के लिए अनंतमूल का चूर्ण बेहद लाभकारी होता है। ये ही नहीं अनंतमूल श्वास रोगों, पीलिया, मुंह के छाले, शरीर के घाव, दमा में बेहद फायदेमंद होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसमें 0.22 फीसदी उड़नशील तेल होता है, जिसका 80 प्रतिशत भाग सुगंधित पैरानेथाक्सी सेलिसिलिक एल्डीहाइड कहलाता है।
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इसके अलावा वैज्ञानिक कहते हैं कि अनंतमूल में सैपोनिन, बीटा साइटो स्टीरॉल, रेसिन, राल, एल्फ, अम्ल, बीटा एसाइरिन्स, टैनिन्स, ल्यूपियोल, रेसिन अम्ल, ग्लाइकोसाइड्स, टेट्रासाइक्लिक ट्राई स्पीन अल्कोहल और कीटोन्स जैसे तत्व होते हैं। इनसे त्वचा के द्वारा रक्त वाहिनियों का विकास होता है। इसके साथ ही इस वजह से खून का संचार सही तरीके से होता है। सिर्फ ये ही नहीं अनंतमूल का इस्तेमाल होम्योपैथी दवाओं के लिए भी होता है। यूनानी मतानुसार अनन्तमूल शीतल होता है। ये पसीना लाकर खून को साफ करता है। जाहिर सी बात है कि अनंतमूल की खोज के बाद उत्तराखंड के अलग अलग पहाड़ी इलाकों में इसे उगाने की बात चल रही है। अगर ऐसा होता है तो पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ स्वरोजगार की दिशा में ये बेहतर कदम होगा।