image: Pithoragarh sheetal climbed kanchenjunga peak

गांव की बेटी ने फतह किया देश का सबसे ऊंचा पर्वत, ड्राइवर पिता का सीना गर्व से चौड़ा

Aug 7 2018 1:19PM, Writer:कपिल

मुुश्किलों से लड़कर जो जीत हासिल करे..उस जीत को ऐतिहासिक कहा जाता है। डिप्रेशन से लड़कर जो अपनी जिंदगी के नए दरवाजों को खोल दे, उसे चैंपियन कहा जाता है। खासतौर पर जब ये काम पहाड़ के एक ऐसे गांव की लड़की कर दे, जहां सुविधाओं को रोना रोया जाता है..तो इससे ज्यादा गर्व की बात क्या होगी ? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के समोल्टा गांव की बेटी शीतल राज को हौसले को सलाम है। शीतल राज कंचनजंगा पर्वत पर चढ़ाई करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बन गई हैं। देश में अब तक कोई महिला ऐसा काम नहीं कर पाई। माउंट एवरेस्ट और के2 के बाद कंचनजंगा दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत है। शीतल के पिता ड्राइवर हैं और मां गृहणी हैं। पहले शीतल के घरवाले इस काम के लिए राज़ी नहीं थे लेकिन शीतल के मन में जिद थी कि उन्हें इस चोटी को फतह करना है।

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शीतल की जिंदगी की कानी काफी प्रेरणादायक है। शीतल ने हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट से माउंटेनियरिंग में कोर्स किया। इसके बाद वो कई अभियानों में गई और पास भी हुईं। क्या आप जानते हैं कि ये बेटी एक वक्त अवसाद में भी थीं। प्री-एवरेस्ट माउंट त्रिशूल को पूरा करने के बाद शीतल को पूरी उम्मीद थी कि उनका सलेक्शन माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए होगा, लेकिन ऐसा नहीं पाया था। बताया जाता है कि इसके बाद शीतल डिप्रेशन में चली गईं थी। यहां तक कि उन्होंने अपना कॉलेज भी छोड़ दिया था। वो एक साल तक डिप्रेशन से लड़ीं और इसके बाद इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन में मेंबरशिप के लिए अप्लाई किया। हौसलों की जीत हुई तो शीतल को ओएनजीसी की तरफ से कंचनजंगा जाने का मौका मिला। अब इस मौके को भला ये बेटी कैसे छोड़ देती ?

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8586 मीटर ऊंची कंचनजंघा की चोटी को फतह कर शीतल ने बड़े रिकॉर्ड अपने नाम कर दिए। आपको जानकर गर्व होगा कि शीतल एक एनसीसी कैडेट भी हैं। कंचनजंगा के लिए शीतल राज का अभियान अप्रैल में निकला था। नेपाल पहुंचने के बाद इस अभियान के लोगों ने बेस कैंप के लिए चढ़ाई शुरू की जिसमें उन्हें 15 दिन लग गए। बेस कैंप से उन्होंने आगे के लिए चढ़ाई शुरू की। ये चढ़ाई काफी मुश्किल थी। जब ये टीम कैंप 1 और 2 पूरा करते हुए कैंप 3 पहुंचे तो वहां हिमस्खलन हो गया था। इन सबसे लड़ते हुए शीतल ने 21 मई को कंचनजंगा पर चढ़ाई पूरी की। शीतल की नजरें अब दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर है। माउंट एवरेस्ट तक पहुंचने में करीब 20-25 लाख का खर्चा आएगा, जिसके लिए शीतल फिलहाल स्पॉन्सरशिप ढूंढ रही हैं। सलाम पहाड़ की इस बेटी को।


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