उत्तराखंड की बेमिसाल परंपरा..26 जनवरी को राजपथ पर दिखेगी पहाड़ की बग्वाल
Aug 29 2018 7:15PM, Writer:कपिल
आने वाले गणतंत्र दिवस एक बार फिर से उत्तराखंड के लिए गौरवशाली साबित हो सकता है। ये वो पल होता है कि जब दिल्ली के राजपथ पर अलग अलग राज्यों की झांकियां प्रदर्शित की जाती हैं। इस बार आपको दिल्ली के राजपथ पर उत्तराखंड के देवीधुरा की बग्वाल दिखेगी। जी हां रक्षाबंधन के मौके पर चंपावत जिले के देवीधूरा के वाराही मंदिर परिसर में बग्वाल का भव्य आयोजन होता है। इस बग्वाल का अपना पौराणिक महत्व है। मान्यता है की वाराही मंदिर में कभी नर बलि की परंपरा थी जिसके बाद आधुनिक रूप में ये एक बग्वाल मेला बन गया है, जिसमें एक आदमी के खून जितना रक्त बहता था तब ये पत्थरों का मेला रुकता था। हालांकि हाईकोर्ट ने इस बार पत्थरों की बग्वाल पर रोक लगाई थी तो इस बग्वाल को और भी भव्य रूप मिला। लोग अब फूलों और फलों से बग्वाल खेलते हैं।
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आगामी गणतंत्र दिवस की परेड में बग्वाल को उत्तराखंड की झांकी के रूप में प्रस्तुत किए जाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। एक वेबसाइट के मुताबिक सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बात की जानकारी दी। केंद्र की मंजूरी के बाद 2019 के गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तराखंड की ये अनमोल धरोहर राजपथ पर दिखेगी। बग्वाल मेला देवीधुरा इलाके में पड़ने वाले गांव के लोग ही खेलते हैं। इसमें वहां रहने वाली जातियां इस पूरे मेले में मिलकर काम करती हैं और इस मेले को सफल बनाती हैं। बग्वाल मेला खेलने वाले लोग ‘द्योका’ कहलाते हैं। यहाँ इस मेले को खेलने के लिए अलग-अलग खाम होते हैं जो गावं की ही अलग-अलग जातियां होती हैं।इनकी टोलियां ढोल-नगाड़ों के साथ किरंगाल की बनी हुई छतरी जिसे छंतोली कहते हैं, सहित अपने पूरे समूह के साथ मंदिर प्रांगण में पहुंचते हैं।
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वहां सभी सर पर कपडा बंधे हाथों में सजा फर्र-छंतोली लेकर मंदिर के सामने परिक्रमा करते हैं। यहाँ मुख्य चार खाम हैं जो मैदान में चारों दिशाओं से पत्थर बरसाते हैं। ये चारों खाम गडहवाल, वालिक, चम्याल तथा लमगड़िया हैं। मंदिर में रखा देवी विग्रह एक सन्दुक में बन्द रहता है । उसी के समक्ष पूजन सम्पन्न होता है । भक्तों की जयजयकार के साथ चारों खाम प्रांगण में उपस्थित होते हैं मंदिर में रखा देवी विग्रह एक सन्दूक में बन्द रहता है । उसी के समक्ष पूजन सम्पन्न होता है । लगता है जिससे चोटिल लोग तुरंत सही हो जाते हैं। वर्तमान समय में अब फूलों के साथ यह युद्ध खेला जाता है। माँ बाराही धाम, उत्तराखंड राज्य में लोहाघाट लोहाघाट-हल्द्वानी मार्ग पर लोहाघाट से लगभग 45 कि.मी की दूरी पर स्थित है। हालांकि इस बार यहां फूलों और फलों की बरसात हुई।