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उत्तराखंड के 475 गांवों की तस्वीर बदलेगी, हर गांव पर खर्च होंगे 1 से डेढ़ करोड़ रुपये!

उत्तराखंड में गांवों की तस्वीर बदलने के लिए एक योजना पर काम हो रहा है। अगले 5 साल में 475 गांवों को इस योजना से जोड़ा जा सकता है।
Oct 17 2018 8:51AM, Writer:रश्मि पुनेठा

जब किसी देश के किसान का विकास होता है तो उस देश का भी विकास होता है। इसी तर्ज पर जब एक गांव का विकास होता है तो उस राज्य का खुद ब खुद विकास होता है। उत्तराखंड सरकार भी इसके तहत अब अपने गांवों के विकास पर काम कर रही है। इसी का नतीजा होगा कि अगले पांच साल में राज्य के 475 गांवों की तस्वीर बदल जाएगी। किसानों की आय दोगुना करने और गांवों से लगातार हो रहे पलायन को रोकने के मद्देनजर राज्य में शुरु होगी 'आइ एम ए विलेज' (मैं एक गांव हूं) योजना। इस योजना के लिए गाइडलाइन तैयार कर ली गई है। इस संबंध में फाइल मुख्यमंत्री को भेजी गई है और अनुमोदन मिलते ही इसकी लॉन्चिंग कर दी जाएगी। इस योजना के तहत पांच साल में 475 गांवों को कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों को जोड़ सभी सुविधाओं से लैस किया जाएगा।

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इसके लिए हर गांव में एक से डेढ़ करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। कृषि को लाभकारी बनाने के साथ ही लोगों को इससे जोड़ने की कड़ी में राज्य सरकार ने 'आइ एम ए विलेज' योजना शुरू की है। इसकी अवधारणा के मुताबिक हर विकासखंड में एक गांव को इस तरह से विकसित किया जाएगा, जो कृषि की सभी सुविधाओं से लैस हो। बता दे कि प्रदेश में 95 विकासखंड हैं और हर साल 95 गांवों में यह योजना शुरु की जाएगी। इस तरह सरकार अगले पांच साल में 475 गांवों की तस्वीर बदलना चाहती है। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि मुख्यमंत्री से अनुमोदन मिलते ही राज्य में 'आई एम ए विलेज' योजना शुरु कर दी जाएगी। योजना में हर साल 95 गांव लिए जाएंगे। इसके जरिये गांवों को कृषि के लिहाज से मुफीद बनाया जाएगा।

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ये एक प्रकार के मॉडल गांव होंगे। धीरे-धीरे इस मुहिम को आगे बढ़ाया जाएगा। योजना को लेकर जो गाइडलाइन बनाई गई है उसके मुख्य बिंदुओं की बात करे तो आइ एम ए विलेज योजना में चयनित गांव को विकास के लिए एक से डेढ़ करोड़ का अतिरिक्त बजट मिलेगा। कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों को जोड़कर गांव को कृषि सुविधाओं से लैस किया जाएगा। वही गांवों में सोलर फैंसिंग, सिंचाई सुविधा, फार्मर्स मशीनरी बैंक, कलेक्शन कक्ष, शॉर्टिग-ग्रेडिंग प्लांट, पशुपालन, मुर्गी-मछली-मधुमक्खी पालन पर फोकस होगा। योजना के तहत होने वाले कार्यों की मॉनीटरिंग के लिए विशेष प्रकोष्ठ का गठित होगा। गाइडलाइन के मुताबिक कृषि उत्पादों के विपणन की व्यवस्था कराई जाएगी। वही गांव से पलायन कर चुके लोगों को भी इस मुहिम से जोड़ेंने की कोशिश की जाएगी।


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