देवभूमि की देवी राज राजेश्वरी..अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और UAE तक जाती है इस मंदिर की भभूत
नवरात्र पर मां भगवती के एक और रूप के बारे में हम आपको बता रहे हैं। मां राज-राजेश्वरी देवी...जो मंदिर के बजाय पठाल से बने घर में निवास करती हैं।
Oct 18 2018 6:50AM, Writer:रश्मि पुनेठा
श्रीनगर गढ़वाल से 18 किमी दूर स्थित श्री राजराजेश्वरी सिद्धपीठ में सालभर लोग मां के दर्शनों के लिए पहुंचते है। धन, वैभव, योग और मोक्ष की देवी कही जाने वाली श्री राज राजेश्वरी का सिद्धपीठ घने जंगलों और गांवों के बीच देवलगढ़ में है। प्राचीन काल से आध्यात्म के लिए जानी जाने वाली राजराजेश्वरी को कई राजा महाराज भी अपनी कुल देवी मानते थे। वही आज के दौर में भी मां के भक्तों में कोई कमी नहीं आई है। सिद्धपीठ के दर्शन के लिए देश-विदेश के दर्शनार्थी देवलगढ़ पहुंचकर मन्नतें मांगते है। कहा जाता है कि गढ़वाल नरेश रहे अजयपाल ने चांदपुर गढ़ी से राजधानी बदलकर देवलगढ़ को राजधानी बनाया था। जिसके बाद अजयपाल देवलगढ़ में ही पठाल वाले भवन के रूप में मंदिर बनवाया। अद्भुत काश्तकारी का ये नमूना आज भी हर किसी को हैरान करता है। यहीं भगवती राजराजेश्वरी देवी की पूजा होती है।
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इसके बाद चांदपुर गढ़ी से श्रीयंत्र लाया गया और देवलगढ़ में बने मंदिर में उसे स्थापित किया गया। इसके अलावा श्री महिषमर्दिनी यंत्र और कामेश्वरी यंत्र को भी इसी राजराजेश्वरी मंदिर में स्थापित किया गया। बताया जाता है कि ये सन् 1512 की बात है। राजराजेश्वरी मंदिर की प्रमुख विशेषता ही ये है है, कि मां मंदिर में नहीं रहती है। इसलिए मंदिर की मूर्ति और यंत्र भवन में रखे गये है। यहां नित्य विशेष पूजा, पाठ, हवन परंपरा के अनुसार होता है। प्रथम नवरात्र से यंत्रों की पूजा-अर्चना के साथ नौ दिनों तक चलने वाली नवरात्र के लिए हरियाली प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस सिद्धपीठ के पुजारी कहते हैं कि 10 सितंबर 1981 से पीठ में अखंड ज्योति की परंपरा शुरु हुई। इसके अलावा बीते 16 सालों से हर दिन हवन की परपंरा जारी है। ये भी कहा जाता है कि उत्तराखंड में जागृत श्रीयंत भी यहीं स्थापित है।
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देश ही नहीं विदेश में रहने वाले लोगों की भी इस सिद्धपीठ में अटूट आस्था है शायद यही वजह है पोस्ट ऑफिस के जरिए हवन-यज्ञ की भभूत यानी राख विदेशों में भेजी जाती है। जिसमें सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, लंदन, अमेरिका का नाम शामिल है। इस बात से ही आप इस शक्तिपीठ की ताकत का अंदाजा लगा सकते हैं। इस मंदिर के पंडित कुंजिका प्रसाद उनियाल। पंडित जी बताते है कि नवरात्र पर प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। यहां तक कि सफाई की व्यवस्था के लिए भी उनके द्वारा ही सेवक रखे गए है। जबकि उनकी पत्नी भी इस काम में उनकी मदद करती है। गांव की प्रधान सीता देवी ऐसी महिला हैं जो महिला मंगल दल की महिलाओं के साथ यहां पहुंचकर सफाई सहित अन्य व्यवस्थाओं में सेवा देती है।