देवभूमि के सुगड़ी गांव का 21 साल का बच्चा..उसकी शहादत आज भी कलेजा चीर देती है
21 साल की उम्र क्या होती है। इस उम्र में वो देश के लिए कुर्बान हो गया था। ऐसा वीर उत्तराखंड की धरती में जन्मा था।
Oct 21 2018 9:15AM, Writer:आदिशा
9 अगस्त 2017...देश 15 अगस्त की तैयारियों में डूब चुका था। तिरंगा फिर से सड़क पर छोटी छोटी दुकानों में बिकने के लिए तैयार था। एक रुपये का तिरंगा, दो रुपये का तिरंगा..50 रुपये से लेकर हजार रुपये तक का तिरंगा। 15 अगस्त के बाद उस तिरंगे का मोल हर किसी के लिए अलग अलग रह जाता है लेकिन उस सपूत के लिए तिरंगे की कीमत क्या थी, जो 21 साल की उम्र में देश के लिए कुर्बान हो गया? भला उस 21 साल के बच्चे के दिल में ऐसा कौन का जुनून उबाल मार रहा था, जो वो सेना में भर्ती हुआ ? घर में तो हर कोई था. खाने कमाने की भी कोई चिंता नहीं थी...फिर आखिर ऐसी क्या बात थी कि वो देश की सेना में भर्ती हो गया ? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट के सुगड़ी गांव का वीर था वो..नाम है अमर शहीद पवन सिंह सुगड़ा।
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रह रहकर उस 21 साल के बच्चे का चेहरा आंखों के सामने घूमता है। 19 साल की छोटी से उम्र में वो सेना में भर्ती हुआ और दो साल बाद सर्वोच्च बलिदान देकर चला गया। उस परिवार का दर्द आज भी जिगर को सालता है, जिसने अपना जवान बेटा खो दिया। 20 कुमाऊं रेजीमेंट के वीर सपूत थे पवन सिंह सुगड़ा। 9 अगस्त 2017 को ही खबर आई थी कि पवन जम्मू कश्मीर के पुंछ में शहीद हो गए। जम्मू कश्मीर के बलनोई क्षेत्र में पाकिस्तानी आतंकियों की तरफ से स्नाइपर शॉट दागा गया था। पवन इसका निशाना बन गए। दरअसल इससे ठीक पहले भारतीय सेना ने आतंकियों के सगरना अबु दुजाना को ढेर किया था। इसके बाद भारतीय सेना को शोपियां जिले के जायपोरा इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी। इसके बाद सेना अपने अभियान पर निकली थी।
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अचानक आतंकियों की तरफ से स्नाइपर शॉट दागा गया और ये सीधा पवन को लगा। उत्तराखंड का लाल धरती पर गिर गया और मातृभूमि को चूमकर शहीद हो गया। पवन 2016 में सेना में भर्ती हुए थे। बचपन से ही उनमें देशभक्ति का जुनून सवार था। स्कूली शिक्षा इंटर विवेकानंद गंगोलीहाट से पूरी करने के बाद पवन जब पिथौरागढ् महाविद्यालय से बीए सेकंड ईयर में पढ़ रहे थे, उसी दौरान सेना में भर्ती हुए थे। पवन सिंह के बड़े भाई धीरज सुगड़ा हल्द्वानी कोतवाली में कार्यरत हैं। पवन की दो बहने भी हैं। पवन सिंह के पिता दान सिंह सुगड़ा भी भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं। पवन चार भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। एक जवान बेटा अपना सब कुछ छोड़कर देश के लिए शहीद हो गया। हमारा मकसद है कि आप उन वीरों की शहादत को हमेशा याद रखें, जो हमारी खातिर दुनिया छोड़कर चले गए।