कभी CM त्रिवेंद्र ने अपना भाई खोया था, अब सभी को मिली अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र ने कभी अपने सगे भाई को खो दिया था। इलाज के अभाव में भाई तो चला गया लेकिन अब उत्तराखंड को एक गजब की सौगात मिली है।
Jan 3 2019 6:22AM, Writer:कपिल
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत...वो अपने सगे भाई को खोने की टीस भले ही कभी भुला ना पाएं लेकिन पूरे उत्तराखंड को स्वास्थ्य सुरक्षा का कवच देकर उन्होंने इरादे साफ कर दिए हैं कि कोई भी व्यक्ति उस दर्द से न गुजरे। आपको बता दें कि 1990 में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने गाँव खैरासैंण, पौड़ी में इलाज के अभाव में अपने सगे भाई को खो दिया था। उस वक्त जिस लाचारी और विवशता को उन्होंने भोगा था, उस पीड़ा से निजात दिलाने के लिए अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना जैसी स्वास्थ्य योजना को वो उत्तराखंड में लेकर आए। अब उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है जिसने मोदी सरकार की योजना से सभी लोगों को राहन पहुंचाने का काम किया है। पहाड़ों में लोगों को इस योजना के कार्ड बंट रहे हैं और हर किसी के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है।
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एक किसान के घर जन्मे त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के खजाने पर भारी बोझ के अनुमान के बावजूद सबको स्वास्थ्य योजना के दायरे में लाकर देशभर में अनूठा उदाहरण पेश किया है। साफ दिख रहा है कि खुद की भोगी हुई पीड़ा के अहसास को जनता की संवेदना से जोड़ना और उसे जनहित में समाधान का माध्यम बनाने की कोशिश सीएम त्रिवेंद्र द्वारा की गई। कई मंचों पर सीएम त्रिवेंद्र कह चुके हैं कि सरकार के हर निर्णय में समाज के अंतिम व्यक्ति की पैरवी उनके भोगे अनुभवों की पूंजी है। उत्तराखण्ड के दूर दराज के इलाकों में आज भी लोग उस लाचारी में जी रहे हैं। इस वजह से अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना को धरातल पर लाया गया। सीएम त्रिवेंद्र के मुताबिक ‘जनता ने मुझे अपनी सेवा का अवसर देकर कृतार्थ किया है। मेरा हर क्षण और हर पल जनता के लिये समर्पित है’।
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अब तक देखा गया है कि दुर्गम पहाड़ों में उपचार न मिलने पर शहरों की ओर केवल वो ही लोग रूख करते हैं, जिनके पास पैसा है। सीएम त्रिवेंद्र के इस जबरदस्त फैसले से आम जनता को मिली राहत का अनुभव वही कर सकता है जो अभी तक अपने परिजनों के अच्छे उपचार की कल्पना भी नही कर सकता था।
जाहिर सी बात है कि अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना उत्तराखंड के हर परिवार के लिए एक वरदान की तरह है। उत्तराखंड के 23 लाख से ज्यादा परिवारों को इस योजना से जोड़ा गया है। ये बात हर कोई जानता है कि गंभीर बीमारी की वजह से परिवार की सारी जमा पूंजी खत्म हो जाती है। ऐसे में सरकार की तरफ से 5 लाख रुपये तक की मदद एक शानदार पहल है। इस फैसले में आम लोगों के जीवनस्तर को सुरक्षित और सरल बनाने की बात नज़र आती है।