नैनीताल पर मंडराया बड़ा खतरा..झील के डिस्चार्ज गेट पर दरार, जमीन धंसने का खतरा!
नैनीताल की नैनी झील के डिस्चार्ज पर दरारें आ गईं हैं, जिस वजह से आस-पास की जमीन के धंसने का खतरा पैदा हो गया है।
Feb 1 2019 8:54AM, Writer:कोमल
सरोवर नगरी नैनीताल इन दिनों एक बड़े खतरे से जूझ रही है। नैनीताल की शान नैनी झील के डांठ (डिस्चार्ज गेट) पर दरार आ गई है, जिस वजह से झील और माल रोड के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। झील के डांठ का पुनर्निर्माण 80 के दशक में हुआ था, तब कहा गया था कि आने वाले कई सालों तक इसमें कोई दरार नहीं आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। झील के डांठ पर दरारें आ गई हैं। बताया जा रहा है कि झील के आस-पास बनी पार्किंग और यहां आने-जाने वाली गाड़ियों के बढ़ते दबाव की वजह से ऐसा हुआ है। एक वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक झील के मुख्य निकासी द्वार के पास गहरी दरार पड़ गई है, जिससे आस-पास की जमीन में धंसाव का खतरा पैदा हो गया है। फिलहाल लोअर और अपर माल रोड पर पड़ी दरारों पर लोनिवि ने निशान लगा दिए हैं। अब हर 15 दिन में इन दरारों को नापा जाएगा, ताकि ये पता लगाया जा सके की दरारें चौड़ी हो रही हैं या नहीं। प्रशासन की तरफ से दरारों को कोलतार और रेत से भरने का काम शुरू कर दिया गया है।
नैनी झील के डांठ (डिस्चार्ज गेट) का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था। यह भी पढें - उत्तराखंड में दूल्हा पिट गया, बीच मंडप पर आते ही घरातियों ने जमकर कूटा...देखिये विडियो
ब्रिटिशकालीन डांठ झील के सामने से 20 पिलरों पर टिका है, 80 मीटर लंबे और करीब 60 मीटर चौड़ाई के डांठ पर ही पुराना रोडवेज स्टेशन है। डांठ के एक हिस्से में दोपहिया और दूसरे हिस्से में चौपहिया गाड़ियां पार्क होती हैं। हल्द्वानी जाने वाली रोडवेज की बसें भी यहीं पर पार्क होती हैं, जिस वजह से झील के डांठ पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। साल 1980 में लोनिवि ने इसका पुनर्निर्माण किया था, उस वक्त इस पर करीब 1 लाख 60 हजार रुपये की लागत आई थी। अब झील के डांठ पर दो जगहों पर दरार पड़ गई हैं, जबकि कलेक्ट्रेट जाने वाले रास्ते में पीछे की तरफ का करीब 3 मीटर हिस्सा धंस रहा है। बहरहाल झील और उसके आस-पास के इलाके को धंसने से बचाने के लिए सिंचाई विभाग ने ब्रिटिशकालीन गेटों की जगह नए गेट बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस पर एक करोड़ से ज्यादा की लागत आएगी। विभाग ने झील में गिरने वाले नालों और डांठ की मरम्मत के लिए 6 करोड़ से ज्यादा के प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिए हैं, मंजूरी मिलने के बाद मरम्मत का काम शुरू कर दिया जाएगा।